नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा। केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली 23 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को 10वें दिन सुनवाई हुई। इसमें केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने इस तर्क को गलत करार दिया कि जम्मू कश्मीर इकलौती रियासत थी, जिसका संविधान था और वो भी गलत था।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की संविधान पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इसके पहले केंद्र ने नौंवें दिन की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसका पूर्वोत्तर के राज्यों को मिला विशेष दर्जा खत्म करने का कोई इरादा नहीं है। केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने वकील मनीष तिवारी की दलीलों के जवाब में यह बात कही। दरअसल तिवारी ने कहा था, जम्मू कश्मीर पर लागू संविधान के भाग 21 में निहित प्रावधानों के अलावा पूर्वोत्तर को नियंत्रित करने वाले अन्य विशेष प्रावधान भी हैं।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर के चार प्रतिनिधि थे, जिनमें शेख अब्दुल्ला भी थे। उन्होंने कहा कि कई रियासतों ने भारत के संविधान को स्वीकार करने में रजामंदी दिखाई। उन्होंने आगे कहा कि संविधान बनाते समय एकसमान स्थिति का लक्ष्य था। संघ के एक हिस्से को बाकी सदस्यों को मिले अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।