चेन्नई। परिसीमन के मसले पर शनिवार को चेन्नई में बड़ी बैठक होगी। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बुलावे पर सात राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री या उनके प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होंगे। मुख्यमंत्री स्टालिन की अध्यक्षता में बैठक होगी, जिसमें तीन और राज्यों के मुख्यमंत्री हिस्सा लेंगे। केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बैठक में शामिल होंगे। कर्नाटक सरकार की ओर से उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में परिसीमन के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का राजनीतिक और कानूनी रूप से मुकाबला करने के उपायों पर चर्चा होगी।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से पूर्व राज्यसभा सांसद अमर पटनायक और पूर्व मंत्री संजय दासबर्मा शामिल होंगे। दोनों नेता बैठक में शामिल होने के लिए शुक्रवार की शाम को चेन्नई पहुंच गए। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के सुप्रीमो नवीन पटनायक को न्योता देने के लिए लोकसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन को भुवनेश्वर भेजा था। एमके स्टालिन ने तृणमूल कांग्रेस को भी न्योता भेजा था लेकिन कहा जा रहा है कि शायद ममता बनर्जी का कोई प्रतिनिधि बैठक में शामिल होगा।
बहरहाल, शनिवार को होने वाली इस बैठक से पहले शुक्रवार को एमके स्टालिन ने एक वीडियो मैसेज जारी करके कहा कि यह बैठक भारतीय संघवाद के लिए ऐतिहासिक साबित होगी। उन्होंने अपने वीडियो मैसेज में चुनौतियों पर चर्चा की और कहा कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नीति को प्रभावी तरीके से लागू किया, जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित किया और राष्ट्रीय विकास में बड़ा योगदान किया उनको सजा नहीं दी जानी चाहिए। स्टालिन ने कहा, ‘ऐसा करना भारत के संघवाद की बुनियाद पर चोट करना होगा। इससे लोकतंत्र की मूल भावना का क्षरण होगा’।
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कुछ दिन पहले राज्य में सर्वदलीय बैठक की थी, जिसमें ज्वाइंट एक्शन कमेटी यानी जेएसी बनाने का प्रस्ताव रखा था। इस जेएसी की पहली बैठक शनिवार को सुबह 10 बजे चेन्नई के आईटीसी ग्रैंड चोल होटल में शुरू होगी और दोपहर तक चलेगी। बैठक के बाद सभी नेता एक साथ दिन का भोजन करेंगे। बताया गया है कि सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री शनिवार की सुबह चेन्नई पहुंचेंगे।
बताया जा रहा है कि जेएसी की बैठक में परिसीमन के प्रस्ताव पर विचार होगा। इसमें एक प्रस्ताव पास किया जाएगा, जिसमें केंद्र सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि वह लोकसभा सीटों के परिसीमन के फैसले पर फिर से विचार करे। गौरतलब है कि सीटों का संख्या 1973 में जितनी तय की गई थी अब भी उतनी है। उस समय 1971 की जनगणना के आधार पर 543 सीटें तय की गई थीं। तब देश की आबादी 54 करोड़ थी, जो अब 140 करोड़ से ज्यादा है। इसलिए केंद्र सरकार परिसीमन की तैयारी कर रही है। दूसरी ओर स्टालिन का कहना है कि अगले 30 साल तक लोकसभा सीटों की संख्या तय करने के लिए 1971 की जनगणना को ही आधार रखा जाए।