इम्फाल। मणिपुर में करीब दो साल से चल रही जातीय हिंसा से प्रभावित पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए हिंसा प्रभावित राज्य के दौरे पर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट के छह जजों ने शनिवार को पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि उनकी हर संभव मदद की जाएगी और कोई उनको अकेले नहीं छोड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने हिंसा प्रभावितों को हर किस्म की कानूनी मदद दिए जाने का भरोसा भी दिलाया।
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस बीआर गवई के साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह वाला प्रतिनिधिमंडल शनिवार को मणिपुर पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने चुराचांदपर में मणिपुर की जातीय हिंसा के विस्थापितों से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में शामिल जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह चूराचांदपुर नहीं जा सके क्योंकि कुकी समूहों ने इसका विरोध किया था। ध्यान रहे जस्टिस कोटेश्वर सिंह मणिपुर के रहने वाले हैं और मैती समुदाय से आते हैं।
बहरहाल, चूराचांदपुर के बाद प्रतिनिधिमंडल बिष्णुपुर के मोइरांग कॉलेज पहुंचा। चुराचांदपुर में ढाई सौ से ज्यादा विधिक सेवा शिविर, स्वास्थ्य शिविर और विधिक सहायता क्लीनिक का जस्टिस गवई ने उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, ‘हमारे संविधान का उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय पहुंचाना है’। वहीं, जस्टिस कोटिश्वर सिंह ने कहा, ‘मेरा मानना है एक दिन मणिपुर समृद्ध होगा। हमें अपने संविधान पर भरोसा रखना चाहिए। मणिपुर में एक दिन शांति स्थापित होगी और वह सफल होगा। हमें मिलकर यहां राहत पहुंचाने का काम करना चाहिए’। जस्टिस गवई ने कहा, ‘हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि विस्थापित लोग हमसे पीछे न छूटें। उनकी आईडेंटिटी, डॉक्यूमेंट्स, संपत्ति का अधिकार या फिर मुआवजे के मामलों में पूरा अधिकार प्राप्त हो’। उन्होंने कहा कि मणिपुर राज्य और मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने ढाई सौ से ज्यादा कानूनी सहायता क्लीनिक स्थापित किए हैं। विस्थापित समुदायों के भीतर स्थापित कानूनी सहायता क्लिनिक मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेंगे।