नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने अचानक सोनिया गांधी के परिवार के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। 12 अप्रैल को नेशनल हेराल्ड केस से जुड़ी 661 करोड़ रुपए की संपत्ति की जब्ती का नोटिस जारी हुआ और 15 अप्रैल को सोनिया व राहुल गांधी को धनशोधन का आरोपी बनाया गया।
15 अप्रैल को ही ईडी ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को पूछताछ के लिए बुलाया। मंगलवार को वाड्रा प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिस पहुंचे, जहां उनसे गुरुग्राम के शिकोहपुर जमीन से जुड़े घोटाले में छह घंटे पूछताछ हुई।
उन्होंने कहा, ‘जब भी मैं लोगों की आवाज बुलंद करूंगा, या राजनीति में आने की कोशिश करूंगा, ये लोग मुझे दबाएंगे और एजेंसियों का दुरुपयोग करेंगे। मैं हमेशा सभी सवालों के जवाब देता हूं और देता रहूंगा’।
रॉबर्ट वाड्रा ने कहा, ‘केस में कुछ है ही नहीं। 20 बार गया हूं, 15-15 घंटे बैठा हूं। मैंने 23 हजार डॉक्यूमेंट्स दिए हैं, फिर कहते हैं दोबारा डॉक्यूमेंट दो, ऐसे थोड़ी चलता है’। इस केस में वाड्रा के साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी आरोपी हैं। उन पर आरोप है कि मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने वाड्रा की कंपनी को मुनाफा पहुंचाया।
कांग्रेस ने बदले की कार्रवाई बताया
सोनिया और राहुल गांधी को धनशोधन के मामले में आरोपी बनाए जाने के बाद कांग्रेस ने बहुत तीखे शब्दों में केंद्र सरकार पर हमला किया है। कांग्रेस ने इसे बदले की कार्रवाई बताया है। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, ‘नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहने हुए राज्य प्रायोजित अपराध है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से बदले की राजनीति और धमकी के अलावा कुछ नहीं है। हालांकि, कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं रहेगा। सत्यमेव जयते’।
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