नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त को अपने भाषण में कामगारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना की घोषणा की और अगले ही दिन 16 अगस्त को कैबिनेट की बैठक में इस योजना को मंजूरी दे दी गई। इस योजना के जरिए देश के छोटे कामगारों को कर्ज देने से लेकर कौशल विकास करने में मदद मुहैया कराई जाएगी। इस योजना पर पांच साल में 13 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। विश्वकर्मा योजना का लक्ष्य बुनकर, सुनार, लोहार, कपड़े धोने का काम करने वाले, नाई आदि को सशक्त बनाना है। अगले महीने 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन इसकी शुरुआत होगी। उस दिन प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन भी है।
बहरहाल, बुधवार को कैबिनेट की बैठक में पीएम विश्वकर्मा योजना के अलावा पीएम ई-बस सेवा के तहत 10 हजार बसों को चलाने की भी मंजूरी दी गई है। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि पीएम ई-बस सेवा योजना पर 57,613 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें से 20 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार और बाकी राज्य सरकारें देंगी। इसके तहत देश भर में लगभग 10 हजार नई इलेक्ट्रिक बसें उपलब्ध कराई जाएंगी।
अनुराग ठाकुर ने बताया कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर बसों का संचालन होगा। यह योजना तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले 169 शहरों में लागू होगी। उन्होंने बताया कि इस योजना से 50 हजार के करीब लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा कैबिनेट ने रेल मंत्रालय की सात परियोजनाओं को भी मंजूरी दी है। इस पर लगभग साढ़े 32 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। फैसले की जानकारी देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ये परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में 2,339 किलोमीटर का विस्तार करेगी।