नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के नेता गुरुवार को जंतर मंतर पर जुटे थे। एकजुट विपक्ष ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी की ओर से कुलपतियों और शिक्षकों की नियुक्तियों सहित कुछ अन्य नियमों में बदलाव किए लाए गए मसौदे के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और कहा कि भाजपा देश भर में आरएसएस का एजेंडा चलाना चाहती है। वे एक विचार, एक इतिहास और एक भाषा थोपना चाहते हैं। इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन डीएमके ने किया था।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसमें कहा, ‘आरएसएस का मकसद देश की अलग अलग संस्कृतियों और इतिहासों को खत्म करना है। वे संविधान पर हमला करके अपने विचार को थोपना चाहते हैं’। राहुल ने कहा, ‘हर राज्य की अपनी भाषा, संस्कृति और इतिहास है। इन्हीं से मिलकर भारत बना है। तमिल लोगों का अपना इतिहास और परंपरा है। ऐसे नियम लाना तमिल समेत हर राज्य का अपमान है, जहां आरएसएस अपनी हुकूमत चलाना चाहता है’। कांग्रेस ने यूजीसी के नए नियमों को तानाशाही और संविधान विरोधी बताया और इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की।
डीएमके ने नियमों में बदलाव के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पास किया है। उसने दिल्ली के जंतर मंतर पर गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। इसमें राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव सहित विपक्ष के कई नेता शामिल हुए। अखिलेश यादव ने इसमें कहा, ‘आरएसएस और भाजपा राज्य सरकारों की ताकत छीनना चाहते हैं। वे राजनेताओं को उद्योगपतियों का सेवक बनाना चाहते हैं। मैं नई शिक्षा नीति का विरोध करता हूं’। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा, ‘संविधान का संघवाद का सिद्धांत पवित्र है और शिक्षा की क्वालिटी को बेहतर बनाना केंद्र के शिक्षा मंत्रालय का मकसद होना चाहिए, लेकिन वे अपने विचार देश में थोपना चाहते हैं’।
गौरतलब है कि गैर भाजपा सरकारों वाले राज्य यूजीसी के नए मसौदे का पहले दिन से विरोध कर रहे हैं। इनमें कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं। उनका कहना है कि मसौदा नियमों को वापस लिया जाना चाहिए। कर्नाटक के उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने कहा कि यह पहली बार है कि सभी समान विचारधारा वाले राज्य, अपने हितों की रक्षा के लिए, संघवाद को बनाए रखने के लिए इकट्ठा हुए हैं।