नई दिल्ली। घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के विवाद में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा के घर सुप्रीम कोर्ट की बनाई जांच कमेटी के सदस्य मंगलवार को जांच के लिए पहुंचे। जांच कमेटी के सदस्यों ने जस्टिस वर्मा के 30, तुगलक क्रिसेंट स्थिति आवास पर मंगलवार की दोपहर में पहुंच कर जांच की। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई है। कमेटी के सदस्यों ने जस्टिस वर्मा के उस स्टोर रूम का मुआयना किया, जहां पांच-पांच सौ रुपए के अधजले नोटों की बोरियां बरामद हुई थीं।
बताया जा रहा है कि जांच टीम जस्टिस वर्मा के घर 45 मिनट रुकी। जांच टीम में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी एस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की प्राथमिक जांच रिपोर्ट मिलने के बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने तीन सदस्यों की कमेटी का गठन किया है।
इससे पहले 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा को उनके पैरेंट कोर्ट यानी इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस ट्रांसफर करने की सिफारिश का प्रस्ताव जारी किया था। कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया कि 20 और 24 मार्च 2025 को हुई बैठकों में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने की सिफारिश की है। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। बार ने मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू किया।
हालांकि अगर जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाई कोर्ट जाते हैं तब भी वे कोई कामकाज नहीं करेंगे। क्योंकि उनको तत्काल कोई काम आवंटित होने में संदेह है। वैसे 23 मार्च को ही जस्टिस वर्मा से दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्यभार वापस ले लिया था। उधर इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जनरल हाउस मीटिंग बुला कर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की मांग का प्रस्ताव पारित किया था। साथ ही मामले की जांच ईडी और सीबआई से कराने की मांग का भी प्रस्ताव पारित किया गया था। गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा के घर में 14 मार्च को आग लगी थी और आग बुझाने के क्रम में भारी मात्रा में नकदी मिलने की खबर आई थी।