नई दिल्ली। मुंबई में स्थित दुनिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी धारावी के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट यानी डीआरपी का काम जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस प्रोजेक्ट के लिए चल रहे निर्माण कार्य पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। साथ ही बॉम्बे हाई कोर्ट के अडानी समूह के पक्ष में सुनाए गए फैसले को भी पलटने से मना कर दिया। दुबई की कंपनी सेक्लिंक टेक्नोलॉजीज कॉर्प ने यह प्रोजेक्ट अडानी समूह को देने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। इसी के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
दुबई की कंपनी सेक्लिंक ने अडानी समूह का टेंडर रद्द करने की मांग़ की है। इस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सेक्लिंक से कहा है कि उसकी 8,640 करोड़ रुपए की बोली अडानी की 5,069 करोड़ रुपये की बोली से काफी ज्यादा है। धारावी प्रोजेक्ट के लिए मूल रूप से 72 सौ करोड़ रुपए की बोली लगाने वाली सेक्लिंक टेक्नोलॉजीज ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह अपनी बोली में 20 फीसदी का इजाफा करने को तैयार है। बेंच ने सेकलिंक को अपनी संशोधित बोली का ब्योरा देते हुए हलफनामा देने का निर्देश दिया।
सर्वोच्च अदालत ने अडानी समूह को एक अलग बैंक खाता रखने का निर्देश दिया है। इस खाते में प्रोजेक्ट से जुड़े सभी लेन देन होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अडानी प्रॉपर्टीज को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 मई को होगी। धारावी प्रोजेक्ट एशिया का सबसे बड़ा शहरी पुनर्वास कार्यक्रम माना जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए 2019 में टेंडर जारी किया था। पहले यह प्रोजेक्ट दुबई की कंपनी सेक्लिंक को मिला था। बाद में इसे रद्द कर दिया गया और 2022 में एक नया टेंडर जारी हुआ, इस बार प्रोजेक्ट अडानी समूह को मिला। सेक्लिंक ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की। दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सेक्लिंक की 2019 की बोली को रद्द करने और 2022 में एक नया टेंडर जारी करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा है।