अहमदाबाद। कांग्रेस पार्टी का 84वां अधिवेशन मंगलवार को अहमदाबाद में शुरू हुआ। पहले दिन कांग्रेस की विस्तारित कार्य समिति, सीडब्लुसी की बैठक हुई, जिसमें 158 सदस्य शामिल हुए। इस बैठक में कांग्रेस ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को लेकर एक विशेष प्रस्ताव पास किया। गौरतलब है कि 64 साल के बाद कांग्रेस का अधिवेशन गुजरात में हो रहा है। सरदार पटेल की डेढ़ सौवीं जयंती के मौके पर कांग्रेस ने गुजरात में अधिवेशन करने का फैसला किया। कांग्रेस ने कहा उसके प्रस्ताव से साफ हो जाएगा कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच अनोखी जुगलबंदी थी।
सीडब्लुसी की मंगलवार को हुई बैठक में कांग्रेस ने पार्टी के भविष्य की रूपरेखा, जिला कांग्रेस कमेटियों को मजबूत बनाने सहित संगठन की मजबूती, जवाबदेही तय करने और आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर मंथन किया। कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने कहा, ‘हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया’। खबरों के मुताबिक राहुल ने आगे कहा, ‘हम मुस्लिमों की बात करते हैं, इसलिए हमें मुस्लिम परस्त कहा जाता है। हमें ऐसी बातों से डरना नहीं है। मुद्दे उठाते रहना है’।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘सरदार वल्लभभाई पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत है। यह हास्यास्पद है कि आज वह संगठन, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं है, उनकी विरासत का दावा कर रहा है’। खड़गे ने आरोप लगाया, ‘आज भाजपा और संघ परिवार के लोग गांधी से जुड़ी संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं और उन्हें उनके वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे हैं। उन्होंने वाराणसी में सर्व सेवा संघ पर भी कब्जा कर लिया है। आप सभी जानते हैं कि गुजरात विद्यापीठ में क्या हुआ’।
खड़गे ने आरोप लगाया कि गांधीवादी और सहकारी आंदोलन के लोगों को हाशिए पर रखा जा रहा है। ऐसी सोच रखने वाले लोग गांधीजी का चश्मा चुरा सकते हैं और छड़ी मार सकते हैं। लेकिन वे कभी भी उनके आदर्शों का पालन नहीं कर सकते। अहमदाबाद में कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में बोलते हुए खड़गे ने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, जिसका पिछले 140 वर्षों से देश की सेवा और लड़ाई का गौरवशाली इतिहास है। उन्होंने भाजपा और आरएसएस पर हमला करते हुए कहा कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच ऐसा रिश्ता था कि दोनों नायक एक दूसरे के खिलाफ थे। सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे।