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20-04-2025 Vol 19

सुप्रीम कोर्ट के कारण धार्मिक विवाद!

नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर हमला किया है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल को इस बात के लिए फटकार लगाई थी कि वे विधानसभा से पारित बिल को अनंतकाल के लिए लटका कर नहीं रख सकते हैं। इसी बात से भाजपा बहुत नाराज है। भाजपा के सांसद ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगर कानून बनाने लगेगा तो संसद को ताला लगा देना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जितने भी धार्मिक विवाद हो रहे हैं वह सुप्रीम कोर्ट के कारण हो रहे हैं। भाजपा सांसद ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर कहा कि देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं उनके लिए जिम्मेदार चीफ जस्टिस खन्ना हैं।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि राज्यपाल तीन महीने से ज्यादा बिल को लंबित नहीं रख सकते हैं। य़ही बात अदालत ने राष्ट्रपति के लिए भी कही है। इसे लेकर निशिकांत दुबे ने शनिवार को कहा, ‘आप किसी अपॉइंटिंग अथॉरिटी को निर्देश कैसे दे सकते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। क्या आप उस संसद को निर्देश देंगे’। उन्होंने आगे कहा, ‘देश में गृह युद्ध के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं। वहीं धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है’।

भाजपा सांसद ने कहा, ‘कोर्ट अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। अगर हर किसी को सारे मामलों के लिए सर्वोच्च अदालत जाना पड़े तो संसद और विधानसभा बंद कर देनी चाहिए’। भाजपा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘एक आर्टिकल 377 था, जिसमें समलैंगिकता अपराध था। अमेरिका में ट्रंप सरकार ने कहा कि दुनिया में केवल दो ही लिंग है, एक, पुरुष और दूसरा, महिला। तीसरे की कोई जगह नहीं है। जितने भी धर्म हैं, चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, जैन हो, सिख हो, ईसाई हो। सभी मानते हैं कि समलैंगिकता एक अपराध है। सुप्रीम कोर्ट एक सुबह उठती है वे कहते हैं कि हम यह आर्टिकल खत्म करते हैं’।

उन्होंने कहा, ‘इसी तरह हमने आईटी एक्ट बनाया। जिसके तहत महिलाओं और बच्चों के पोर्न पर लगाम लगाने का काम किया गया। एक दिन सुप्रीम कोर्ट कहता है कि वे 66ए आईटी एक्ट को खत्म कर रहे हैं’। निशिकांत ने कहा, ‘मैंने आर्टिकल 141 का अध्ययन किया है। यह आर्टिकल कहता है कि हम जो कानून बनाते हैं वो लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लागू होता है। आर्टिकल 368 कहता है कि इस देश की संसद को कानून बनाने का अधिकार है और इसकी व्याख्या करने का अधिकार सुप्रीम कोर्ट को है’। धार्मिक विवाद पर उन्होंने कहा, ‘हमारे देश में सनातन की परंपरा रही है। लाखों साल की परंपरा है। जब राम मंदिर का विषय आता है तो आप कहते हैं कि कागज दिखाओ। कृष्णजन्मभूमि का मामला आएगा तो कहेंगे कि कागज दिखाओ। यही बात ज्ञानवापी केस में कहेंगे। इस देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है’।

NI Desk

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