नई दिल्ली। जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हालात सामान्य होने की संभावना है। हालांकि राज्य में नई सरकार बनाने के प्रयास चल रहे हैं और कहा जा रहा है कि भाजपा के 22 विधायकों ने मैती मुख्यमंत्री बनाने का समर्थन किया है। नई सरकार के गठन की चर्चाओं के बीच शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक अहम बैठक की। उन्होंने राज्य के हालात की समीक्षा की और सड़कें ब्लॉक करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
गृह मंत्री ने शनिवार को हुई बैठक में राज्य की सुरक्षा एजेंसियों को आठ मार्च से मणिपुर में सभी सड़कों पर बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा है। अगर बेरोकटोक आवाजाही शुरू हो जाती है तो इससे हालात सामान्य करने में बड़ी मदद मिलेगी। इस बैठक से पहले खबर आई कि मणिपुर में अलग अलग समुदायों ने 20 फरवरी से अब तक तीन सौ से ज्यादा हथियार सरेंडर कर दिए हैं। ये हथियार जातीय हिंसा के दौरान सुरक्षा एजेंसियों खास कर थानों से लूटे गए थे।
राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने 20 फरवरी को सभी समूहों से हिंसा में लूटे गए हथियार सरेंडर करने की अपील की थी। राज्यपाल ने उग्रवादियों से हथियार सरेंडर करने की समय सीमा छह मार्च शाम चार बजे तक बढ़ा दी। हिंसा के दौरान लूटे गए 87 तरह के हथियार, गोला, बारूद और अलग अलग सामान लोग सरेंडर कर रहे हैं। कई जिलों में हथियार सरेंडर किए गए हैं। इनमें मैती समूह अरम्बाई टेंगोल के सरेंडर किए गए 246 हथियार शामिल हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने नौ फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
बहरहाल, शांति बहाली के प्रयासों और हथियारों के सरेंडर के बीच 28 फरवरी को अज्ञात उग्रवादियों ने इम्फाल पूर्वी जिले में मैती समुदाय के धार्मिक स्थल पर आसपास की पहाड़ियों से गोलीबारी की। यह घटना शुक्रवार की सुबह करीब साढ़े नौ बजे हुई, जब भारी सुरक्षा घेरे में श्रद्धालुओं का एक समूह मैती लोगों के पवित्र स्थल कोंगबा मारू में प्रार्थना करने गया था। अधिकारियों ने बताया कि आसपास की पहाड़ियों से कुल सात राउंड गोलियां चलाई गईं, लेकिन इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ।