Thursday

24-04-2025 Vol 19

सद्भावना का बुलबुला

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने यूएई के एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में भारत से रिश्ते सुधारने के बारे में जो बातें कहीं, उनसे वैसे भी तुरंत इस दिशा में कोई प्रगति होने की उम्मीद नहीं थी। इसलिए कि उन्होंने इसके लिए यूएई से मध्यस्थता करने का आग्रह कर दिया, जबकि जम्मू-कश्मीर मसले पर भारत को किसी तीसरे देश की भूमिका मंजूर नहीं है। बहरहाल, इसके अलावा उन्होंने जो बातें कहीं, उन्हें उनकी सद्भावना का संकेत समझा जा सकता था। मसलन, उनका यह कहना महत्त्वपूर्ण है कि भारत के साथ तीन युद्धों से पाकिस्तान ने सबक सीखा है। उन युद्धों से गरीबी और आर्थिक बदहाली बढ़ने के अलावा कुछ और हासिल नहीं हुआ। उनकी यह बात भी तार्किक मानी जा सकती है कि परमाणु हथियार संपन्न दो देशों के बीच जंग की कल्पना भयावह है। सत्ताधारी नेताओं की ऐसी सद्भावनाओं का अपना महत्त्व होता है। बहरहाल, सद्भावनाओं का जो बुलबुला मंगलवार दिन में नजर आया, उनके फूटने में कुछ ही घंटे लगे।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विट्स के जरिए यह जोड़ दिया कि शहबाज शरीफ की हमेशा राय रही है कि जब तक भारत धारा 370 को रद्द करने का अपना फैसला वापस लेकर पांच अगस्त 2019 के पहले की स्थिति बहाल नहीं करता, उसके साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती। जाहिर है, यह स्पष्टीकरण जारी करने के लिए शहबाज शरीफ के कार्यालय पर पाकिस्तान की सेना की तरफ से दबाव पड़ा होगा। दूसरी तरफ शरीफ को ऐसी सद्भावना की महंगी सियासी कीमत को लेकर भी आगाह किया गया होगा। तो कुल निष्कर्ष यह रहा कि शाम होते-होते बात घूम-फिर कर अपने पहले मुकाम पर पहुंच गई। इस घटनाक्रम से यह बात सिर्फ सामने आई है कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में सुधार की पहल करना सत्ताधारी नेताओं के लिए बेहद जोखिम भरा है। अतीत में जो उग्र सियासत हुई है, उसका इस जोखिम को बढ़ाने में प्रमुख योगदान रहा है। ऐसे में अचानक यथार्थ से परिचित कोई नेता सद्भावना भरी बातें कह डालता है, लेकिन उसकी भावनाएं क्षणिक बुलबुला ही साबित होती हैं। यही कहानी एक बार फिर दोहराई गई है।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *