Thursday

24-04-2025 Vol 19

नेपाल के प्रयोग पर नजर

काठमांडू में शुरू हुए ‘टेक्स्टबुक-फ्री फ्राइडे’ नामक प्रयोग ने लोगों का ध्यान खींचा है। इस योजना के तहत बच्चों को शुक्रवार को बिना स्कूली बस्ते के स्कूल आने को कहा गया है। उस रोज स्कूलों में कुछ जरूरी बुनियादी कौशल सिखाए जाएंगे।

नेपाल में एक ऐसा प्रयोग शुरू किया गया है, जिस तरफ ध्यान जाना लाजिमी बनता है। यह प्रयोग अगर सफल रहा, तो बेशक इसे कई देशों में अपनाया जाएगा। शिक्षा को सार्थक और वास्तविक जीवन से जोड़ा जाए, विचार के स्तर पर यह बात अक्सर कही जाती है। लेकिन ऐसा असल में कैसे किया जाए, यह एक गंभीर सवाल है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में इसी सवाल का उत्तर ढूंढने की कोशिश की गई है। काठमांडू में ‘टेक्स्टबुक-फ्री फ्राइडे’ का एक नया प्रयोग शुरू किया गया है। शहर के 89 में से 56 कम्युनिटी स्कूलों में शुरू हुए इस प्रयोग के तहत बच्चों को शुक्रवार को बिना किताब और स्कूली बस्ते के स्कूल आने को कहा गया है। शुक्रवार को स्कूलों में रोजमर्रा जिंदगी के लिए जरूरी बुनियादी कौशल सिखाए जाएंगे। छात्रों की पाठ्यक्रम के बाहर की गतिविधियों में उनकी भागीदारी बनाई जाएगी। हालांकि बीते शुक्रवार को शुरू हुए इस प्रयोग की कुछ हलकों से आलोचना भी हुई है। कुछ शिक्षाशास्त्रियों ने कहा है कि योजना को बिना पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किए लागू कर दिया गया है। जबकि नगर प्रशासन ने कहा है कि उसने इस प्रयोग के लिए दो करोड़ नेपाली रुपये का बजट मंजूर किया है।

इस प्रयोग के तहत नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों 10 टॉपिक्स पर अल्पकालिक कोर्स करने का मौका दिया जाएगा। इन टॉपिक्स में खेती, बागवानी, कॉस्मेटिक ट्रेनिंग, कारपेंटरी, नक्काशी, पाक कला, फैशन डिजाइन, वस्त्र सिलाई, इलेक्ट्रिक वायरिंग, आपदा तैयारी, मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स रिपेयर, प्लंम्बिंग, और मूर्ति कला शामिल हैं।इनमें से हर कोर्स वैकल्पिक है और हर कोर्स की अवधि 90 दिन होगी। आठवीं कक्षा तक के छात्रों को लेखन, संगीत, कविता लेखन आदि जैसी गतिविधियों में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें खेतों की खुदाई, पौधा लगाने, पराली हटाने, कचरे का निपटारा आदि जैसे कार्यों की ट्रेनिंग दी जाएगी। काठमांडू के मेयर ने कहा है कि ट्रेनिंग के लिए कार्यों को चुनते वक्त यह ध्यान रखा गया है कि ऐसे प्रशिक्षण से छात्र घरेलू जरूरतों को पूरा करने के योग्य बनें। अगर योजना सचमुच छात्रों को इसके लायक बना पाई, तो बेशक इसका कई अन्य जगहों पर अनुकरण किया जाएगा।

NI Editorial

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