Saturday

01-03-2025 Vol 19

विवाद ना उठें, तो बेहतर

पिछले वर्षों के दौरान नेपाल के साथ जिस तरह भारत के संबंध बिगड़े, उसके बीच यह एक मौका है, जब दोनों देश अपने रिश्तों को एक नई दिशा दे सकते हैँ। यह खबर उम्मीद बंधाने वाली है कि पुष्प कमल दहल अपनी भारत यात्रा को विवादों से दूर रखना चाहते हैं।

नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल की बुधवार से शुरू हो रही भारत कई मायनों में बेहद अहम है। पिछले वर्षों के दौरान नेपाल के साथ जिस तरह भारत के संबंध बिगड़े, उसके बीच यह एक मौका है, जब दोनों देश अपने रिश्तों को एक नई दिशा दे सकते हैँ। यह खबर उम्मीद बंधाने वाली है कि दहल अपनी भारत यात्रा को विवादों से दूर रखना चाहते हैं। लेकिन क्या वे ऐसा कर पाएंगे और ऐसा उन्होंने किया तो फिर नेपाल की राजनीति में इसकी उन्हें क्या कीमत चुकानी होगी, इस समय ऐसे सवालों पर कूटनीतिक हलकों में चर्चा गर्म है। नेपाल के विपक्ष ने उन पर उग्र राष्ट्रवादी कार्ड खेलने का दबाव बढ़ा रखा है। यह बात पहले नेपाल की संसद में हुई चर्चा के दौरान सामने आई थी। और यही संकेत यात्रा पर निकलने से पहले दहल ने जो एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, उस दौरान भी मिला। इस बैठक में नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने मांग की कि दहल अपनी भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इमिनेंट पर्सन्स ग्रुप (ईपीजी) की रिपोर्ट को स्वीकार करने और दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मसला जरूर उठाएं।

ईपीजी दोनों के बीच संबंध की दिशा पर सुझाव देने के लिए बनाई गई थी। आरोप है कि भारत इसकी रिपोर्ट को ग्रहण करने में अनिच्छुक बना हुआ है। इस समिति में दोनों देशों के चार-चार सदस्य थे। अपनी इस यात्रा के बारे में सुझाव लेने के लिए दहल ने पूर्व प्रधानमंत्रियों और पूर्व विदेश मंत्रियों की एक बैठक बुलाई थी। उसमें शेर बहादुर देउबा, केपी शर्मा ओली, झलानाथ खनाल और बाबूराम भट्टराई सहित कई बड़े नेता शामिल हुए। आए सुझावों का सार रहा कि भारत में दहल को आत्म-सम्मान के साथ बात करनी चाहिए। उन्हें वहां वार्ता के दौरान ईपीजी रिपोर्ट और लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी इलाकों से संबंधित विवाद को प्रमुखता देनी चाहिए। उन्हें नेपाल का व्यापार घाटा कम करने पर बात करनी चाहिए। स्पष्टतः ये सभी विवादित मुद्दे हैं और इन्हें उठा कर विपक्ष ने दहल पर दबाव बनाने की कोशिश की है।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *