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31-03-2025 Vol 19

वादा-खिलाफी के खिलाफ

शिकायत यह है कि 2021 में किसान आंदोलन खत्म कराने के समय सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया। तो अब किसानों ने फिर संघर्ष छेड़ने का इरादा जताया है। इस इरादे को जताने के लिए बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे।

दिल्ली में फिर किसानों का फिर जमावड़ा लगा। उनकी शिकायत यह है कि 2021 में किसान आंदोलन खत्म कराने के समय सरकार ने जो वादे किए थे, उन्हें पूरा नहीं किया। तो अब किसानों ने फिर संघर्ष छेड़ने का इरादा जताया है। इस इरादे को जताने के लिए बड़ी संख्या में किसान दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे। इसके बाद उन्होंने जमीनी स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संघर्ष के कार्यक्रम का एलान किया है। इस दौरान किसान केंद्र सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा को 9 दिसंबर 2021 को दिए गए लिखित आश्वासनों को पूरा करने की मांग करेंगे। साथ ही किसानों के लगातार बढ़ते संकट के समाधान के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग की जाएगी। किसानों की एक पुरानी मांग स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने की है। किसान सरकार की तरफ से बनाई गई उस कमेटी से असंतुष्ट हैं, जो किसान आंदोलन खत्म होने के बाद बनी थी। संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी पर गठित समिति और इसका घोषित एजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है।

कृषि संकट में है, इसमें दो राय नहीं है। हाल में महाराष्ट्र में प्याज किसानों की जैसी मुसीबत हुई, वह देश भर के मीडिया में सुर्खियों में आई। उसी के बाद महाराष्ट्र के किसानों ने नासिक से मुंबई तक का मार्च शुरू किया। फिलहाल, तो राज्य सरकार ने उनकी मांगें मान ली हैं। लेकिन उन पर अमल होगा, यह देखने की बात होगी। राष्ट्रीय स्तर पर किसान बिजली संशोधन विधेयक- 2022 को वापस लिए जाने की मांग भी कर रहे हैँ। इसके अलावा लखीमपुर खेरी जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को कैबिनेट से बाहर करने की मांग भी उन्होंने दोहराई है। इस मांग का संदर्भ राजनीतिक है। लेकिन किसानों की बाकी मांगों पर सहानुभूति से विचार की जरूरत है। यह दीगर बात है कि वर्तमान सरकार के तहत प्रवृत्ति मोटे तौर पर ऐसी मांगों को खारिज करने की ही रहती है।

NI Editorial

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