Wednesday

02-04-2025 Vol 19

फिर चुनाव का क्या मतलब?

थाईलैंड के चुनाव में जो बदलाव की जन इच्छा दिखी, असल में वह शायद बदलाव नहीं आ पाएगा। देश के सत्ता तंत्र पर कंजरवेटिव शासक वर्ग का नियंत्रण है। वह चेहरे में भी ऐसा बदलाव पसंद नहीं करता, जिसे लाने में उसका हाथ ना हो। 

थाईलैंड में संसद के निचले सदन का आम चुनाव हुआ। लेकिन अब वहां आशंकाएं गहरा रही हैं कि जनादेश में जो बदलाव की इच्छा दिखी, असल में वह बदलाव शायद ना आ पाए। कारण यह है कि देश के सत्ता तंत्र पर कंजरवेटिव शासक वर्ग का नियंत्रण है। हालांकि चुनाव में अधिक समर्थन पाने वाली पार्टियां भी इसी वर्ग का हिस्सा हैं, लेकिन उनके लिए भी अपने सियासी वादों को लागू कर पाना आसान नहीं है। चुनाव में मूव फॉरवर्ड पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी, जबकि पेउआ थाई पार्टी दूसरे नंबर पर रही। मूव फॉरवर्ड पार्टी फ्यूचर फॉरवर्ड पार्टी का नया संस्करण है। फ्यूचर फॉरवर्ड को प्रतिबंधित कर दिया गया था। नए संस्करण के साथ ऐसा नहीं होगा, यह कोई यकीन के साथ कहने को तैयार नहीं है। कई हलकों से मूव फॉरवर्ड पर वोट पाने के लिए धन बांटने के आरोप लगाए गए हैँ। इस कारण बहुत-सी सीटों पर चुनाव नतीजे का औपचारिक एलान नहीं हुआ है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लगे आरोपों का निपटारा करने में निर्वाचन आयोग को कई महीने लग सकते हैँ।

सभी चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद ही नई सरकार बन पाएगी। उधर मूव फॉरवर्ड के नेता पिता लिमिजारोएनरात पर राजशाही को अपमानित करने के आरोप भी लगाए गए हैं। थाईलैंड राजशाही की आलोचना कानूनन प्रतिबंधित है। ऐसा करने पर 15 साल की कैद हो सकती है। ऐसे संभवतः आरोप उन लोगों की तरफ से लगाए जा रहे हैं, जो यथास्थिति को बरकरार रखना चाहते हैँ। मूव फॉरवर्ड ने संसद के 500 सदस्यों वाले निचले सदन में कुल 151 सीटें जीत कर सबको चौंका दिया है। दूसरे नंबर पर पेउआ थाई पार्टी रही। यह पूर्व प्रधानमंत्री ताकसिन शिनावत्रा की पार्टी है। शिनवत्रा को देश निकाला दे दिया गया था। अब उनकी छोटी बेटी पायेतोंगतर्ण इस पार्टी की नेता हैं। पिता अमेरिका की हारवर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट हैं और उनके परिवार के थाकसिन शिनवत्रा के पारिवारिक रिश्ते रहे हैँ। इस तरह सत्ता कुछ परिवारों के इर्द-गिर्द ही सिमटी रहनी है। लेकिन मुमकिन है कि सत्ता प्रतिष्ठान को चेहरे का बदलाव भी पसंद ना आए।

NI Editorial

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