हैदरपुर वेटलैंड क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में आए हजारों विदेशी पक्षी वहां से समय से पहले ही वापस अपने देश चले गए हैं। ऐसा साफ तौर पर वहां के प्रशासन की पर्यावरण के प्रति लापरवाही का नतीजा है।
भारत में पर्यावरण की अनदेखी की तस्दीक पक्षियों ने भी कर दी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर और बिजनौर जिलों की सीमा पर स्थित हैदरपुर वेटलैंड क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में आए हजारों विदेशी पक्षी वहां से समय से पहले ही वापस अपने देश चले गए हैं। हैदरपुर वेटलैंड को पिछले साल ही रामसर स्थल के रूप में मान्यता मिली थी। गंगा और सोनाली नदी के बीच करीब सात हजार हेक्टेअर में फैला यह इलाका जैव विविधता का एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। लेकिन सिंचाई विभाग ने वेटलैंड की झीलों के पानी को निकालकर गंगा नदी में डाल दिया, जिससे पूरा वेटलैंड ही खाली हो गया। इस वजह से न सिर्फ प्रवासी पक्षी चले गए बल्कि खबरों के मुताबिक जल में रहने वाले जीवों के सामने भी संकट खड़ा हो गया है। बड़ी संख्या में मछलियों के मर जाने की खबर है। पानी निकालने की बात जब मीडिया में आई, तो केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने हस्तक्षेप किया और राज्य सरकार को जल निकासी रोकने का निर्देश दिया।
मगर तब तक देर हो चुकी थी। इस घटनाक्रम से पक्षी और पर्यावरण प्रेमी नाराज हैं। उनका आरोप है कि सिंचाई विभाग ने दस जनवरी से शुरू कर दो दिन में वेटलैंड का पानी निकाल दिया, जिसकी वजह से प्रवासी और अन्य पक्षी उड़ गए। उस समय दिल्ली और दूसरी जगहों के भी तमाम पक्षी प्रेमी हैदरपुर वेटलैंड का दौरा कर रहे थे। दिल्ली-एनसीआर के आसपास के पक्षी विहार स्थलों की स्थिति प्रदूषण की वजह से खराब होती जा रही है। ऐसे दिल्ली के पास एकमात्र अच्छी साइट हैदरपुर ही है। वहां से भी पक्षियों के समय से पहले चले जाने सभी को हैरानी हुई। सर्दियों के मौसम में फरवरी के अंत या मध्य मार्च तक पक्षियों की 300 से ज्यादा प्रजातियां इस क्षेत्र में आती हैं। अब पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है जल निकासी के लिए पक्षियों के प्रवासी पैटर्न के अनुरूप ही योजना बनाएं। लेकिन यह बात इतनी देर से क्यों समझ में आई, यह एक बुनियादी सवाल है। यह हमारे देश में पर्यावरणीय जरूरतों के प्रति प्रशासन की लापरवाही को जाहिर करता है।