Saturday

01-03-2025 Vol 19

केजरीवाल की राष्ट्रीय पार्टी

सवाल है कि आप के राष्ट्रीय पार्टी बन जाने और तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई के राष्ट्रीय पार्टी नहीं रह जाने के क्या बदल जाएगा? क्या आम आदमी पार्टी इन तीनों से बड़ी पार्टी हो जाएगी?

अरविंद केजरीवाल की एक तमन्ना पूरी हो गई। उनकी आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रीय पार्टी हो गई है। इस देश में शायद ही कोई दूसरा नेता होगा, जिसने पार्टी बनाते ही उसको राष्ट्रीय बना देने का प्रयास शुरू कर दिया होगा। केजरीवाल ने 2011 में पार्टी बनाई थी और 2014 में पूरे देश में चुनाव लड़ गए थे। उन्होंने सवा चार सौ से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और खुद नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाराणसी चले गए थे। उस चुनाव में उनको जो झटका लगा उससे उनकी रफ्तार थोड़ी कम हुई। लेकिन फिर 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिले प्रचंड बहुमत से उनकी महत्वाकांक्षाओं को बहुत बढ़ा दिया। वे हर राज्य में चुनाव लड़ने लगे ताकि जल्दी से जल्दी आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिले।

पिछले साल के अंत में गुजरात विधानसभा चुनाव में करीब 13 फीसदी वोट हासिल करने के साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय पार्टी होने का मानदंड पूरा कर लिया। दिल्ली और पंजाब में उनकी सरकार है और गोवा में उनको सात फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे। राष्ट्रीय पार्टी होने के कई मानदंडों में एक यह है कि चार राज्यों में छह फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले हों। सो, जैसे ही गुजरात में उनको 13 फीसदी वोट मिला उन्होंने चुनाव आयोग के सामने दावा पेश कर दिया। जब चुनाव आयोग ने फैसला करने में देरी की तो उनकी पार्टी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में अपील कर दी कि चुनाव आयोग को जल्दी फैसला करने को कहा जाए। हाई कोर्ट ने आयोग को 13 अप्रैल की समय सीमा दी थी और उससे तीन दिन पहले आयोग ने 10 अप्रैल को आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने का ऐलान किया। साथ ही शरद पवार की एनसीपी, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और सीपीआई का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया।

अब सवाल है कि आप के राष्ट्रीय पार्टी बन जाने और तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई के राष्ट्रीय पार्टी नहीं रह जाने के क्या बदल जाएगा? क्या आम आदमी पार्टी इन तीनों से बड़ी पार्टी हो जाएगी? तृणमूल के 215 से ज्यादा विधायक और दोनों सदनों में 30 से ज्यादा सांसद हैं। यह आप के विधायकों, सांसदों की संख्या से बहुत ज्यादा है। सो, आप का राष्ट्रीय पार्टी बनना सिर्फ एक तकनीकी मामला है, जिससे आप को राजधानी दिल्ली में एक और कार्यालय की जगह मिल जाएगी और पूरे देश में झाड़ू चुनाव चिन्ह मिल जाएगा। पर मुश्किल यह है कि राष्ट्रीय पार्टी बनते ही केजरीवाल अपने को भाजपा और कांग्रेस दोनों का विकल्प मानने लगेंगे और ऐसी राजनीति करेंगे, जो अंततः भाजपा से लड़ने की विपक्ष की साझा रणनीति को नुकसान पहुंचाएगी।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *