Wednesday

02-04-2025 Vol 19

चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी!

चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी शीर्षक के साथ पूछे जा रहे इन सवालों का संबंध क्रोनी कैपिटलिज्म और शासन में पारदर्शिता के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से भी रहा है। बहरहाल, मंगलवार को कांग्रेस ने बेहद गंभीर प्रश्न उठाए।

अडानी प्रकरण में जब से राहुल गांधी के पूछे सवालों को संसद की कार्यवाही से हटाया गया, कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रोज पांच सवाल पूछने का सिलसिला चला रखा है। मंगलवार तक इस क्रम में 45 प्रश्न पूछे जा चुके हैं। चुप्पी तोड़िए प्रधानमंत्री जी शीर्षक के साथ पूछे जा रहे इन सवालों का संबंध क्रोनी कैपिटलिज्म और शासन में पारदर्शिता के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा से भी रहा है। बहरहाल, मंगलवार को पार्टी ने जो सवाल पूछे, उनका संबंध इससे है कि क्या वर्तमान सत्ताधारी नेताओं की अवैध और भ्रष्ट कारोबार करने वाले समूह से संबंध है और इन सबका एक मिला-जुला स्वार्थ आधारित नेटवर्क बन गया है? कांग्रेस ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि क्या उन्होंने भारतीय करदाताओं का पैसा निजी भारतीय कंपनियों को ट्रांसफर किया है, जिससे उन कंपनियों ने उनकी राजनीतिक गतिविधियों की फंडिंग की है? इस सिलसिले में पार्टी ने गौतम अडानी से संबंधित कुछ रूसी सौदों का उल्लेख किया। इस सवाल पर गौर कीजिएः ‘क्या अडानी ग्रुप और अन्य बिजनेस घराने वैश्विक भ्रष्ट नेटवर्क का हिस्सा हैं, जिनक जरिए जनता के धन को भारत में उनससे संबंधित नेताओँ को ट्रांसफर किया जाता है?’

यह सचमुच गंभीर प्रश्न है। अगर इसमें तनिक भी सच्चाई है, तो उसका मतलब यह होगा कि भारत की सत्ता पर स्वार्थ और दुर्भावना प्रेरित कॉरपोरेट्स, विदेशी अवैध धंधेबाजों और उनसे धन पाने वाले नेताओं का कब्जा हो गया है। सरकार ने हाल में विपक्ष या किसी अन्य हलके से पूछे गए ऐसे सवालों को नजरअंदाज करने की रणनीति अपनाई है। चूंकि मीडिया पर उसका लगभग पूरा नियंत्रण है, इसलिए ये सवाल आम जन तक नहीं पहुंच सके हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि ये सवाल अप्रासंगिक हैं या इनका महत्त्व कम हो जाता है। इसलिए सरकार के लिए बेहतर रणनीति यह होगी कि ऐसे सवालों का सीधा मुकाबला करे- यानी विपक्ष/कांग्रेस से इन सवालों की पुष्टि करने वाले साक्ष्य मांगे और अगर ऐसे संकेत देने वाले कोई साक्ष्य पेश किए जाते हैं, तो तथ्यों के साथ उसका जवाब पेश करे। वरना, समाज के एक बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे इन प्रश्नों से जो संकेत दिए जा रहे हैं, उनमें यकीन करने लगेगा।

NI Desk

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