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17-04-2025 Vol 19

मोक्षदा एकादशी का व्रत कब, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

ekadashi in december 2024: यह तो हम सभी जानते है कि भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी तिथी माह में 2 बार आती है। मार्गशीर्ष माह में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकदशी का जाता है।

मोक्षदा एकादशी का महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत विशेष होता है। यह तिथि मार्गशीर्ष माह में आती है और इसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्ति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए अति शुभ माना जाता है। इस दिन विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत रखा जाता हैं

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे जीवन के दुखों और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन किए गए पुण्य कर्मों का फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

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मोक्षदा एकादशी तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत बुधवार 11 दिसंबर को सुबह 3.42 मिनट पर शुरू होगी.

वहीं तिथि का समापन गुरुवार 12 दिसंबर को रात्रि 1.09 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार इस मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा.

व्रत के अगले दिन पारण किया जाता है. जिसके अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण गुरुवार 12 दिसंबर को किया जाएगा. व्रत पारण का समय सुबह 7.05 मिनट पर शुरू होगा और सुबह 9.09 मिनट तक रहेगा.

मोक्षदा एकादशी पूजा विधि

मोक्षदा एकादशी के दिन पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान करें. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.

घर के मंदिर में दीप जलाएं और एक चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें, इसके बाद भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें और उसके बाद श्रीहरि को पीले वस्त्र अर्पित करें.

भगवान विष्णु को रोली और अक्षत का तिलक लगाएं और उसके बाद पीला भोग अर्पित करें. एकादशी व्रत की कथा सुनें और विष्णु सहस्रनाम मंत्र का पाठ करें.

मोक्षदा एकादशी व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार मोक्षदा एकादशी को भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और श्रीकृष्ण की पूजा करने से पापों का नाश तो होता ही है साथ ही संतान प्राप्ति की कामना, धन प्राप्ति की कामना या फिर विवाह की मनोकामना आदि पूर्ण होती हैं.

इस दिन शंख, चक्र गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा करने से पूर्वजों को मोक्ष तक पहुंचने में मदद मिलती है.(ekadashi in december 2024)

मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या करने से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से इस व्रत को करने से मिलता है.

NI Desk

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