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02-04-2025 Vol 19

5 या 6 अप्रैल, कब है रामनवमी? एक क्लिक में दूर करें सभी कंफ्यूजन….

रामनवमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पूजनीय पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।

रामनवमी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है, जो आमतौर पर मार्च और अप्रैल के बीच आता है। इस दिन को लेकर भारतीय समाज में विशेष उत्साह और उल्लास का माहौल रहता है, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीराम के धरती पर अवतरण का प्रतीक है।

भगवान श्रीराम, जिन्हें ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ के रूप में जाना जाता है, उनके जीवन के आदर्शों और उनकी महानता को सम्मानित करने के लिए यह पर्व मनाया जाता है।

भगवान श्रीराम ने अपने जीवन में हमेशा धर्म, सत्य, और कर्तव्य का पालन किया, जिससे उन्होंने न केवल अपनी मर्यादा को स्थापित किया, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए आदर्श प्रस्तुत किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि हमें अपने कार्यों में सत्य, न्याय, और धर्म का पालन करना चाहिए, चाहे परिस्थिति जैसी भी हो।

रामनवमी के दिन विशेष रूप से भक्तजन उपवासी रहते हैं और व्रत रखते हैं, ताकि वे भगवान श्रीराम की कृपा प्राप्त कर सकें। इस दिन रामायण का पाठ किया जाता है, जिसमें श्रीराम के जीवन की कथा और उनके आदर्शों का वर्णन होता है।

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भजन-कीर्तन, आरती और पूजा-अर्चना भी इस दिन की विशेषता है, जो भगवान श्रीराम के प्रति भक्तों की श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है। राम मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्तजन भगवान श्रीराम के चित्र या मूर्ति के समक्ष दीप जलाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

रामनवमी का यह दिन हर एक हिन्दू परिवार के लिए एक विशेष अवसर है, जब वे अपने परिवार के साथ एकत्रित होकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और भगवान श्रीराम से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। रामनवमी का पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, प्रेम, और शांति का संदेश भी फैलाता है।

रामनवमी का पर्व न केवल भगवान श्रीराम के जीवन के आदर्शों को सम्मानित करता है, बल्कि यह हमें अपने जीवन को सच्चाई, न्याय, और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी देता है। यह दिन हम सभी के लिए आत्ममंथन का अवसर है, जिससे हम अपने जीवन में धर्म और सत्य के पथ पर चलने का संकल्प लें।

इस साल कब है राम नवमी?

राम नवमी हिंदू धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जो विशेष रूप से भारतीय समाज में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में हर समय धर्म, सत्य और कर्तव्य का पालन किया। इस दिन के माध्यम से हम सभी को उनके आदर्शों और सिद्धांतों का अनुसरण करने की प्रेरणा मिलती है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 2025 में राम नवमी का पर्व 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर शुरू हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 6 अप्रैल 2025 को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदयातिथि का महत्व होता है, और इसी के अनुसार इस बार 6 अप्रैल 2025 को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा।

राम नवमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, रामायण पाठ और व्रत का आयोजन किया जाता है। भक्तजन इस दिन भगवान श्रीराम के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए मंदिरों में जाते हैं और रामायण के श्लोकों का पाठ करते हैं।

6 अप्रैल को राम नवमी

साथ ही, इस दिन विशेष रूप से राम के जीवन के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए सत्य, धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया जाता है।

राम नवमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, प्रेम, और शांति का संदेश भी देता है। यह दिन हम सभी के लिए एक अवसर होता है जब हम भगवान श्रीराम के आदर्शों के साथ अपने जीवन को जोड़ने का प्रयास करते हैं।

इस साल, 6 अप्रैल को राम नवमी के अवसर पर भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह दिन न केवल धार्मिक आयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें जीवन में नैतिकता, ईमानदारी, और कर्तव्य का पालन करने की प्रेरणा भी देता है।

रामनवमी का महत्व

रामनवमी हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, क्योंकि उनके जीवन में सत्य, धर्म, न्याय और मर्यादा के उच्चतम मानक स्थापित हुए।

यह पर्व विशेष रूप से हमें उनके जीवन के आदर्शों का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है और हमें यह सिखाता है कि सत्य, धर्म और कर्तव्य का पालन करना ही जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य होना चाहिए।

रामनवमी का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जो भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यधिक श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है।

उनका जन्म धर्म की स्थापना और अधर्म के नाश के लिए हुआ था। भगवान श्रीराम का जीवन हमें यह संदेश देता है कि भले ही परिस्थितियाँ जैसी भी हों, हमें सच्चाई, ईमानदारी और कर्तव्य के मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए।

रामनवमी के दिन विशेष रूप से भक्तगण व्रत रखते हैं, मंदिरों में पूजा करते हैं, रामायण और रामचरितमानस का पाठ करते हैं, और भगवान श्रीराम की महिमा का गान करते हैं।

भजन-कीर्तन, राम कथा और धार्मिक आयोजन इस दिन के मुख्य आकर्षण होते हैं। भक्तगण इस दिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना कर उनके जीवन से जुड़ी प्रेरणाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।

रामनवमी की सीख….

भगवान श्रीराम के जीवन के प्रमुख तत्वों में से एक है उनकी मर्यादा और सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता। उन्होंने हमेशा अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखा।

उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी स्थिति में हमें अपने धर्म, कर्तव्य और सच्चाई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। रामनवमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति का संदेश भी फैलाता है।

इस दिन विभिन्न स्थानों पर झांकियां और शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें भगवान श्रीराम, माता सीता, भाई लक्ष्मण और हनुमान जी की झलकियां देखी जाती हैं। इन शोभायात्राओं के माध्यम से धार्मिक जोश और उमंग का वातावरण बनता है, और लोग एकजुट होकर धार्मिक भावना का अनुभव करते हैं।

इस दिन की महत्वता इस बात में भी है कि यह विभिन्न समुदायों को जोड़ने का काम करता है। रामनवमी का पर्व समाज में एकता और सद्भावना को बढ़ावा देने का एक अद्भुत अवसर होता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन में राम के आदर्शों को अपनाकर अपने परिवार और समाज के कल्याण के लिए काम करना चाहिए।

कुल मिलाकर, रामनवमी का पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह जीवन के सर्वोत्तम मूल्यों और आदर्शों की पुनः याद दिलाता है। भगवान श्रीराम का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा है, और यह पर्व हमें उनके सिद्धांतों और उनके कर्तव्यों का पालन करने की दिशा में प्रेरित करता है।

Naya India

Naya India, A Hindi newspaper in India, was first printed on 16th May 2010. The beginning was independent – and produly continues to be- with no allegiance to any political party or corporate house. Started by Hari Shankar Vyas, a pioneering Journalist with more that 30 years experience, NAYA INDIA abides to the core principle of free and nonpartisan Journalism.

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