himachal pradesh: हिमाचल प्रदेश के कबाइली क्षेत्रों से एक रोचक और प्रेरणादायक मामला सामने आया है। इन इलाकों में रहने वाले लोग किसी भी विवाद को लेकर पुलिस या अदालत का सहारा लेने के बजाय देवी-देवताओं की शरण में जाते हैं और वहीं अपने झगड़े सुलझाते हैं।
यहां के लोगों का देवताओं के न्याय में गहरा विश्वास है, चाहे मामला छोटा हो या बड़ा, सबकी समस्याएं वे देवता के दरबार में ही रखते हैं और समाधान प्राप्त करते हैं। यह परंपरा देश के उन क्षेत्रों के लिए एक मिसाल है जो लगातार अपराध बढ़ने की समस्या से जूझ रहे हैं।
इन कबाइली क्षेत्रों में शिमला का डोडरा क्वार, चंबा-पांगी के गांव, लाहौल-स्पीति के इलाके और किन्नौर के दूरस्थ क्षेत्र शामिल हैं। यहां के लोगों में आपसी भाईचारे की भावना भी देखने को मिलती है, और वे मतभेदों को सुलझाने के लिए पुलिस या अदालत का रुख नहीं करते।
दशकों से ये परंपरा यहां चली आ रही है, जहां लोग देवी-देवताओं की शरण में जाकर अपने सभी प्रकार के विवाद सुलझाते हैं।
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1947 के बाद दर्ज हुए केवल 7 केस
शिमला के रोहड़ू शहर के नजदीक डोडरा क्वार तो एक ऐसी जगह है, जहां आजादी के बाद से अब तक केवल सात केस ही दर्ज हुए हैं. लोगों का देवी-देवताओं के न्याय के प्रति विश्वास इसकी सबसे बड़ी वजह है. मामले की जानकारी देते हुए वहां के नागरिक बताते है कि ट्राइबल एरिया के इतने कम क्राइम ग्राफ से दूसरे इलाके के लोगों को सीख लेनी चाहिए. हिमाचल प्रदेश के ट्राइबल इलाकों के लोगों का देवता के न्यात सत्ता पर काफी विश्वास है, जो इस क्राइम ग्राफ को कम करने की सबसे बड़ी वजह है.
न्याय के लिए देवी-देवता की शरण में
हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी के इंटर डिसिप्लिनरी डिपार्टमेंटके एक सर्वे में सामने आया है कि लोग अपनी जमीन से संबंधित विवादों को भी देव-देवता की शरण में जाकर सुलझाते हैं. देवता जैसे भी जमीन का बंटवारा करते हैं, सभी लोग उसे मान लेते हैं.