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डिमेंशिया मामलों के लिए भविष्य में सबसे बड़ा जोखिम फैक्टर क्या है?

ByNI Desk,
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नई दिल्ली। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि हृदय संबंधी विकार डिमेंशिया (Dementia Disease) के मामलों को तेजी से बढ़ा सकते हैं। इसमें यह भी खुलासा हुआ है कि धूम्रपान से जितने डिमेंशिया (Dementia Disease) के मामले आते हैं उससे ज्यादा मामले हृदय रोग (Heart Disease) की वजह से होंगे। हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज, शिक्षा और धूम्रपान समेत आनुवंशिक (जेनेटिक) और पर्यावरणीय कारकों का मिलना मनोभ्रंश रोग के लिए प्रमुख जोखिम फैक्टर है। 

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि समय के साथ इन जोखिमों के प्रसार में किस प्रकार परिवर्तन आया है। शोधकर्ताओं की टीम ने 1947 और 2015 के बीच जुटाए गए आंकड़ों और 2020 में प्रकाशित लेटेस्ट शोधपत्र के आधार पर विश्व स्तर पर मनोभ्रंश से पीड़ित लोगों से जुड़े 27 शोधपत्रों का विश्लेषण किया। द लांसेट पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित परिणामों से पता चला कि निम्न शिक्षा और धूम्रपान करने वालों की संख्या में समय के साथ कमी की वजह से डिमेंशिया (मनोभ्रंश रोग) की दरों में गिरावट आई है। 

समय के साथ मोटापे और डायबिटीज की दरें बढ़ी हैं। साथ ही मनोभ्रंश के जोखिम में भी इनका योगदान बढ़ा है। ज्यादातर अध्ययनों में हाइपरटेंशन (High Blood Pressure) सबसे बड़ा डिमेंशिया (मनोभ्रंश रोग) का कारण बनकर उभरा है। यूसीएल साइकियाट्री की प्रमुख लेखिका नाहिद मुकदम ने कहा समय के साथ हृदय संबंधी जोखिम ने डिमेंशिया (मनोभ्रंश रोग) के जोखिम को और अधिक बढ़ा दिया है। 

इसलिए भविष्य में मनोभ्रंश की रोकथाम के प्रयासों के लिए इन पर ज्यादा ध्यान देकर कार्रवाई करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का स्तर समय के साथ कई उच्च आय वाले देशों में बढ़ा है। जिसका मतलब है कि यह डिमेंशिया (मनोभ्रंश रोग) का कम महत्वपूर्ण जोखिम कारक बन गया है। शोधकर्ताओं ने कहा यूरोप और अमेरिका में भी धूम्रपान के स्तर में कमी आई है, क्योंकि यह सामाजिक रूप से अब कम स्वीकार्य होने के साथ ज्यादा महंगा हो गया है।

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