Thursday

24-04-2025 Vol 19

राजस्थान विधानसभा में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव पर हंगामा

जयपुर। राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सलाहकार एवं निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा (Sanyam Lodha) ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Rajendra Rathod) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया और इसे लेकर लेकर सदन में हंगामा हुआ।

प्रश्नकाल के बाद श्री लोढ़ा यह प्रस्ताव रखने के लिए खड़े हुए और बोलने लगे इस पर श्री राठौड भी खड़े हो गए और बोलने लगे। इस पर अध्यक्ष ने इस मामले को शून्यकाल तक टाल दिया और कहा यह मामला शून्यकाल के बाद में उठाये। स्थगन प्रस्ताव एवं नियम 295 के तहत विधायकों की बात सुनने एवं अन्य कार्यवाही के बाद में जब अध्यक्ष ने श्री लोढ़ा को बोलने की अनुमति दी तो फिर राठौड़ खड़े हो गए और बोलने लगे, इस पर अध्यक्ष और राठौड़ के बीच नोंकझोंक हुई। भाजपा के अन्य सदस्य भी बोलने लगे और वेल में आ गए इससे जोरदार हंगामा हुआ।

इस पर डा जोशी ने कहा कि अध्यक्ष के अधिकार को चैलेंज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा “सदन नियमों से चलता है, मैं नियम के तहत काम कर रहा हूँ आप मुझे डिक्टेट नहीं करे। मेरा अधिकार है, सदन ऐसे नहीं चलता, नियमों से चलता है।” बाद में अध्यक्ष ने नियम बताये और कहा कि नियम के तहत जब बोलने की बारी आये तब सदस्य को बोलने का पूरा मौका दिया जायेगा। इसके बाद अध्यक्ष ने संयम लोढ़ा का नाम पुकारा और वह बोलने लगे इस पर श्री राठौड़ फिर खड़े हो गए और बोलने लगे। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि अगर मैं नियम के अनुसार नहीं चल रहा हू और गलत कर रहा हू तो आपको न्यायालय में जाने का भी पूरा अधिकार है। वरिष्ठ सदस्य के नाते सदन को डिक्टेट करने का अधिकार नहीं है।

इस दौरान श्री राठौड़ ने कहा- सीधे ही विशेषाधिकार हनन का मुद्दा उठाने की अनुमति दी जा रही हैं। इस पर हमें भी बोलने का मौका मिलना चाहिए। नियम 160 और 161 को भी देखिए। इस दौरान अध्यक्ष ने कहा “मुझे पूरा अधिकार है और नियम में भी प्रावधान है कि मैं विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव की अनुमति दे सकता हूं। इसके बाद आपको आपत्ति है तो आपको बोलने की अनुमति होगी। अभी बहस करवा नहीं रहे हैं। इसकी पूरी प्रक्रिया है, अभी तो केवल बोलने की अनुमति दी है, अगर इस पर कोई आपत्ति है तो बहस के समय बोलने का मौका दिया जाएगा, लेकिन अभी नहीं।

इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा “हमारे सदस्यों का यही कहना है कि जब इस मामले में चर्चा हो तब हमें हमारा पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाये। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि पूरा मौका होगा।”

श्री लोढ़ा ने प्रस्ताव रखते हुए कहा कि वह सदन के एक वरिष्ठ सदस्य के आचरण से व्यवथित होकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा क्या यह सदन उच्च न्यायालय का सब ऑर्डिनेट है, क्या उच्च न्यायालय डिक्टेट करेगा सदन को, जब विधानसभा उच्च न्यायालय को फैसला करने के लिए नही कह सकती तो फिर न्यायालय विधानसभा को फैसला करने के लिए कैसे कह सकता है। श्री लोढ़ा ने अपना प्रस्ताव रखा, जिस पर अध्यक्ष ने कहा कि सदस्य सदन में प्रश्न लेकर आये हैं, इस पर बाद में कोई निर्णय किया जायेगा।

इससे पहले प्रश्नकाल के बाद श्री लोढ़ा प्रस्ताव रखने के लिए खड़े हुए और कहा कि विधायको के इस्तीफे पर अध्यक्ष ने कोई फैसला नहीं किया और सदन के सदस्य के द्वारा प्रीमेच्योर स्टेज पर अध्यक्ष की गरिमा एवं सदन के सदस्यों के अधिकारों को आहत किया गया हैं। उन्होंने कहा कि प्रीमेच्चोर स्टेज पर किसी भी तरह से विधानसभा से संबधित मामले को उच्च न्यायालय में नहीं ले जाया जा सकता। (वार्ता)

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *