Tainted Leaders : किसी भी अपराध में दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाए लोगों के चुनाव लड़ने पर आजीवन पाबंदी के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में चुनाव आयोग से ब्योरा मांगा है।
मंगलवार की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन मामलों का ब्योरा मांगा है, जिनमें चुनाव आयोग (Tainted Leaders) ने नेताओं पर अपराध सिद्ध होने के बाद छह साल की पाबंदी की अवधि को कम किया है या खत्म किया है।
गौरतलब है कि जन प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा आठ में प्रावधान है कि दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते। भले ही उसे जमानत मिल गई हो या फैसले के खिलाफ ऊपरी कोर्ट में मामला चल रहा हो।
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चुनाव लड़ने पर पाबंदी (Tainted Leaders)
अगर किसी को ऊपरी अदालत से भी सजा हो जाती है तो सजा की अवधि पूरी होने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी होती है।
इसी कानून की धारा 11 के तहत चुनाव के पास अधिकार है कि वह किसी मामले में इस (Tainted Leaders) अवधि को कम कर सकता है या पूरी तरह हटा सकता है। ऐसा करने पर स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही मामलों की सूची दो हफ्तों के भीतर जमा करने को कहा है। मामले की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामलों का ब्योरा मिलने के बाद याचिकाकर्ता दो हफ्ते के अंदर इस पर अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं। वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जनहित याचिका की थी।
इसमें जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा आठ और नौ को चुनौती दी गई है। (Tainted Leaders) याचिका में सांसदों, विधायकों के खिलाफ केसों का जल्दी से जल्दी निपटारा करने और दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।