चेन्नई। संसद में अभी वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन का बिल पेश नहीं किया गया है लेकिन इसके खिलाफ देश भर में राजनीति शुरू हो गई है। एक तरफ मुस्लिम समूह इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो दूसरी ओर तमिलनाडु की सरकार ने गुरुवार को वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग की।
बिल के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया, ‘ये बिल मुसलमानों के अधिकारों को खत्म कर देगा। हमारी मांग है कि केंद्र सरकार बिल वापस ले’। मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा, ‘केंद्र सरकार ऐसी योजनाएं ला रही है जो राज्य के अधिकारों, संस्कृति और परंपरा के खिलाफ हैं। वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के अधिकारों को नष्ट कर रहा है। केंद्र सरकार ने कभी मुसलमानों के कल्याण और उनके अधिकारों के बारे में नहीं सोचा’। उन्होंने कहा, ‘संशोधन में कहा गया है कि दो गैर मुस्लिम लोग को वक्फ का हिस्सा होना चाहिए। मुसलमानों को डर है कि यह सरकार का वक्फ संपत्तियों को हड़पने का एक तरीका है और यह धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है’।
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ राज्य सरकार के विधानसभा से प्रस्ताव पारित करवाने पर विपक्षी पार्टियों ने राजनीति करने का आरोप लगाया। मुख्य विपक्षी पार्टी अन्ना डीएमके ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि डीएमके धर्म और भाषा के आधार पर एक नैरेटिव सेट करने की जल्दी में है। जिन पार्टियों के सदस्य जेपीसी में हैं, वे न्यायपालिका में वक्फ को चुनौती क्यों नहीं दे रहे हैं? विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की जल्दी क्यों है? वोट बैंक की राजनीति के लिए लोगों को भड़काने की कोशिश करना बेहद निंदनीय है’। भाजपा ने भी कहा कि वह इस प्रस्ताव का विरोध करती है।