kedarnath dham yatra : उत्तराखंड में एक नई बहस छिड़ गई है, जिसका केंद्र केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग है।
दरअसल, 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होने जा रही है, जिसमें हर साल लाखों श्रद्धालु गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचते हैं।
इसी दौरान, बड़ी संख्या में गैर-हिंदू भी चारधाम यात्रा मार्ग पर व्यापार करते हैं। इसी मुद्दे को उठाते हुए केदारनाथ की विधायक आशा नौटियाल ने गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है। (kedarnath dham yatra )
इस बयान के बाद राज्य में राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। जहां बीजेपी धार्मिक स्थलों पर मांस और शराब बिक्री का विरोध कर रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इसे गैर-हिंदुओं के व्यवसाय से जोड़कर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं।
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस बयान को जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। उनका कहना है कि केंद्र और बीजेपी शासित राज्यों को ज्वलंत मुद्दों पर जवाब देना चाहिए, लेकिन वे जाति और धर्म के नाम पर समाज में विभाजन पैदा कर रहे हैं।
अब देखना होगा कि यह मामला धार्मिक आस्था तक सीमित रहता है या फिर आगामी चुनावों के मद्देनजर बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता है! (kedarnath dham yatra )
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धर्म के नाम पर राजनीति करती बीजेपी (kedarnath dham yatra )
उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग पर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है। कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने इस मुद्दे पर बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
उन्होंने इसे बीजेपी का राष्ट्रीय एजेंडा बताते हुए कहा कि सरकार जनता से किए अपने वादे पूरे नहीं कर पाई, इसलिए ऐसे विवादित मुद्दे उठाकर जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। (kedarnath dham yatra )
धस्माना ने आगे कहा कि होली के रंगों में नफरत फैलाने की साजिश नाकाम होने के बाद अब केदारनाथ में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि देशभर में कई धार्मिक स्थलों की यात्रा पूरी करवाने में मुस्लिम समुदाय की भूमिका अहम होती है, ऐसे में गैर-हिंदुओं पर प्रतिबंध लगाना अनुचित और भेदभावपूर्ण होगा। (kedarnath dham yatra )
देहरादून के शहर काजी ने जताई नाराजगी
इस मुद्दे पर देहरादून के शहर काजी मोहम्मद अहमद कासमी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर कोई निर्णय कानून के दायरे में लिया जाता है, तो वह स्वीकार्य है, लेकिन अगर यह नियम विशेष समुदाय को निशाना बनाने के लिए बनाया जाता है, तो यह गलत है।
काजी ने सरकार से संतुलित नजरिए से विचार करने की अपील की और कहा कि इस फैसले से साफ जाहिर होता है कि धार्मिक आयोजनों और मेलों में मुस्लिम समुदाय को बाहर रखने की कोशिश की जा रही है। (kedarnath dham yatra )
अब देखना होगा कि इस विवादित मांग पर सरकार क्या रुख अपनाती है और क्या यह चुनावी मुद्दे का रूप ले लेता है…..
मुसलमानों की एंट्री पर बैन का चलन (kedarnath dham yatra)
उत्तराखंड में केदारनाथ धाम में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाने की मांग के बाद सियासी और धार्मिक हलकों में बवाल मच गया है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “आजकल मुसलमानों की एंट्री पर बैन का चलन चल रहा है।”(kedarnath dham yatra)
उन्होंने कहा कि पहले महाकुंभ मेले में मुसलमानों की दुकानों पर रोक, फिर मथुरा की ब्रज होली में मुसलमानों पर पाबंदी और अब केदारनाथ में एंट्री बैन की मांग, यह सभी फैसले सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा देते हैं। मौलाना ने राजनीतिक नेताओं से अपील की कि वे समाज को जोड़ने का काम करें, तोड़ने का नहीं।
गैर हिंदू केदारनाथ धाम को बदनाम करते
केदारनाथ की बीजेपी विधायक आशा नौटियाल ने अपने बयान में कहा कि कुछ गैर हिंदू तीर्थस्थलों के माहौल को खराब कर रहे हैं। (kedarnath dham yatra)
उन्होंने आरोप लगाया कि गैर हिंदू केदारनाथ में मांस, मछली और शराब परोसने का काम कर रहे हैं, जिससे धाम की पवित्रता प्रभावित हो रही है। नौटियाल ने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है।
जूना अखाड़ा ने भी किया समर्थन (kedarnath dham yatra)
बीजेपी विधायक की इस मांग का जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि “सिर्फ केदारनाथ ही नहीं, बल्कि सभी हिंदू धार्मिक स्थलों पर गैर हिंदुओं की एंट्री बैन होनी चाहिए।”
अब इस मुद्दे पर संत समाज और मुस्लिम समुदाय आमने-सामने आ गए हैं। देखना होगा कि सरकार इस विवादित मांग पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह मामला चुनावी राजनीति का हिस्सा बनता है या नहीं! (kedarnath dham yatra)