जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के प्रसिद्ध हिल स्टेशन पहलगाम में मंगलवार को हुआ आतंकी हमला (kashmir terrorist attack) मानवता को शर्मसार कर देने वाली एक वीभत्स घटना बन गई है।
इस हमले में अब तक 26 निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है। आतंकी हमलावरों ने न केवल पर्यटकों को निशाना बनाया, बल्कि उनकी पहचान और धर्म पूछकर, उनके साथ अमानवीयता की सारी हदें पार कर दीं।
इस भयावह घटना में कानपुर के शुभम द्विवेदी की भी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई। शुभम अपनी पत्नी के साथ पहलगाम की खूबसूरत वादियों में घुड़सवारी कर रहे थे, जब आतंकियों ने उन्हें रोका।
आतंकियों ने पहले उनका नाम और धर्म पूछा और फिर उन्हें कलमा पढ़ने को मजबूर किया। जब शुभम ने ऐसा करने से इनकार किया, तो आतंकियों ने उनकी पत्नी के सामने ही उनके सिर में गोली मार दी। (kashmir terrorist attack) यह दिल दहला देने वाला दृश्य उनकी पत्नी की आंखों के सामने घटा, जो इस भयावह सदमें से सहम गई।
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शुभम की दर्दनाक मौत की खबर जैसे ही कानपुर स्थित उनके घर पहुँची, वहाँ कोहराम मच गया। महाराजपुर थाना क्षेत्र के हाथीपुर चंदन चक्की में स्थित उनके घर में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिजन और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल है। (kashmir terrorist attack) शुभम के चचेरे भाई सौरभ ने मीडिया को बताया कि उन्हें इस घटना की जानकारी कैसे मिली और उन्होंने सरकार से अपील की है कि शुभम का शव जल्द से जल्द परिवार को सौंपा जाए, ताकि अंतिम संस्कार किया जा सके।
शुभम की शादी महज दो महीने पहले ही हुई थी और वे अपने परिवार के साथ कश्मीर की सैर पर निकले थे — किसे पता था कि यह सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा।
इस आतंकी हमले में एक और बड़ा झटका हरियाणा को भी लगा, जहां के 26 वर्षीय नौसेना अधिकारी विनय नरवाल भी इस हमले में शहीद हो गए। विनय नौसेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कोच्चि में तैनात थे। उनकी शादी मात्र 16 अप्रैल को ही हुई थी और वो अपनी पत्नी के साथ पहलगाम घूमने गए थे।
दुर्भाग्यवश, उनकी खुशियों भरी यात्रा आतंकवाद (kashmir terrorist attack) की चपेट में आ गई। विनय का जन्मदिन भी एक मई को था, जिसे वे इस बार पत्नी के साथ मनाने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही आतंकियों ने उनकी जिंदगी छीन ली।
सरकार की ओर से मृतकों की सूची जारी की गई है जिसमें अब तक 16 लोगों की पहचान की जा चुकी है। यह हमला न सिर्फ निर्दोष पर्यटकों पर हमला है, (kashmir terrorist attack) बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक एकता और भाईचारे पर भी सीधा प्रहार है।
पूरा देश इस दुखद घटना से शोकाकुल है। हम सबको मिलकर इस आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा। आतंक के इस अंधकार को केवल एकजुटता, सहानुभूति और न्याय की रोशनी से ही हराया जा सकता है।
शुभम द्विवेदी जैसे देश के बेटे हमें यह याद दिलाते हैं कि आतंकवाद (kashmir terrorist attack) का कोई धर्म नहीं होता, और निर्दोषों की हत्या कभी किसी विचारधारा का समर्थन नहीं हो सकती।
kashmir terrorist attack में शुभम द्विवेदी की मौत
पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले ने (kashmir terrorist attack) न सिर्फ देश को दहला दिया, बल्कि कानपुर के एक परिवार को भी गहरे शोक में डुबो दिया। श्यामनगर के ड्रीमलैंड अपार्टमेंट में रहने वाले शुभम द्विवेदी इस हमले में अपनी जान गंवा बैठे।
शुभम अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ छुट्टियां मनाने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे, लेकिन किसे पता था कि यह सफर उनके जीवन का आखिरी सफर बन जाएगा।
घटना की जानकारी शुभम के परिवार को शाम करीब साढ़े छह बजे मिली, जब किसी रिश्तेदार ने उनके पिता डॉ. संजय द्विवेदी को फोन कर यह दुखद खबर दी।
सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। (kashmir terrorist attack) शुभम की पत्नी एशान्या, जो घटना के समय उनके साथ थीं, फोन पर बात करते हुए रो-रोकर बेहाल हो गईं। उनका कहना था कि हमले के बाद वहां अफरातफरी मच गई थी और लोगों में जान बचाने की होड़ लग गई थी।
17 अप्रैल को शुभम 11 सदस्यों के पारिवारिक समूह के साथ जम्मू-कश्मीर(kashmir terrorist attack) रवाना हुए थे। योजना के अनुसार उन्हें 23 अप्रैल को वापस लौटना था, लेकिन इससे पहले ही दोपहर करीब तीन बजे यह खौफनाक आतंकी हमला हो गया।
शुभम के भाई सौरभ ने बताया कि उन्हें दोपहर में एक कॉल आया, जिसमें बताया गया कि शुभम पर गोली चली है। यह खबर सुनते ही पूरे परिवार की दुनिया जैसे थम सी गई।
शुभम मूल रूप से चंदनपुर चक्की, हाथीपुर के रहने वाले थे। वह एक सीमेंट कंपनी में सेल्स प्रमोटर के पद पर कार्यरत थे और अपने व्यवहार तथा मेहनती स्वभाव के कारण सबके चहेते थे।
उनके चाचा, ज्योतिषाचार्य मनोज द्विवेदी ने बताया कि शुभम का सपना था कि वह अपने परिवार को एक बेहतर जीवन दे सकें। लेकिन आतंकी हमले ने उनके सभी सपनों को चकनाचूर कर दिया। (kashmir terrorist attack)
शुभम के माथे पर चली गोली
जम्मू-कश्मीर के शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से भरे इलाक़े में एक ह्रदय विदारक घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया। (kashmir terrorist attack) मंगलवार को शुभम द्विवेदी और उनकी पत्नी ऐशान्या पहलगाम की खूबसूरत वादियों में घुड़सवारी के लिए निकले थे।
यह वह क्षण था जिसे हर नवविवाहित जोड़ा अपनी यादों में संजोना चाहता है — लेकिन तक़दीर ने कुछ और ही तय कर रखा था। करीब दोपहर के सवा दो बजे, जब वे घुड़सवारी में मशगूल थे, तभी वहां सेना की वर्दी में दो से तीन आतंकवादी अचानक आए और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी।
चारों ओर चीख-पुकार मच गई, लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इसी अफरा-तफरी में एक गोली शुभम के ठीक माथे पर लगी और वह वहीं ज़मीन पर गिर पड़े। (kashmir terrorist attack) उनकी पत्नी ऐशान्या इस भयंकर दृश्य को देखकर वहीं बेहोश हो गईं। चारों ओर डर, दर्द और सन्नाटा फैल गया।
शुभम के परिवार को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उनके भाई सौरभ ने बताया कि एक वायरल वीडियो के माध्यम से उन्हें यह सूचना मिली जिसमें शुभम ज़मीन पर लहूलुहान हालत में पड़े दिख रहे थे। यह दृश्य ऐसा था जिसे कोई भी देख कर सिहर उठे। सिर से खून बह रहा था और आसपास भयावह सन्नाटा था।
दिल दहला देने वाली आतंकी घटना
ऐशान्या, जो इस दर्दनाक हमले की चश्मदीद गवाह बनीं, ने सौरभ को बताया कि जब हमला हुआ तो एक आतंकी ने शुभम से कहा था— “अगर तुम कलमा पढ़ लो, तो हम तुम्हें गोली नहीं मारेंगे।”
इस कथन से यह स्पष्ट होता है कि यह हमला महज एक हिंसात्मक घटना नहीं थी, बल्कि इसके पीछे एक गहरी धार्मिक और वैचारिक कट्टरता भी छुपी हुई थी।(kashmir terrorist attack)
आतंकियों की क्रूरता यहीं खत्म नहीं हुई। ऐशान्या को यह कहकर छोड़ दिया गया— “हम तुम्हें इसलिए छोड़ रहे हैं ताकि तुम जाकर अपनी सरकार को बताओ कि हमने क्या किया है।” यह शब्द न केवल क्रूरता को दर्शाते हैं, बल्कि उनका एक सुनियोजित मनोवैज्ञानिक संदेश भी है, जो डर और भ्रम का माहौल बनाना चाहता है।
सौरभ ने जानकारी दी कि शुभम का शव अभी कश्मीर में है (kashmir terrorist attack) और अधिकारियों के अनुसार उसे कानपुर तक लाने में दो दिन का समय लग सकता है। उन्होंने सरकार से निवेदन किया है कि जल्द से जल्द शुभम के शव को उनके परिवार को सौंपा जाए, ताकि अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा सके
यह घटना न सिर्फ एक परिवार के लिए असहनीय पीड़ा का कारण बनी है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि आतंकवाद किस कदर निर्दोष जीवनों को निगल रहा है। एक युवा, खुशहाल ज़िंदगी जीने वाला शुभम, जिसने अपने जीवन के सबसे खुबसूरत पल की कल्पना की थी, उसे एक गोली ने सदा के लिए खामोश कर दिया।
इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं— क्या घाटी में पर्यटकों की सुरक्षा पर्याप्त है? क्या आतंकवादी अब इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे खुलेआम हमले कर सकते हैं? और सबसे अहम— क्या हम अब भी आतंकवाद के खिलाफ पर्याप्त कदम उठा रहे हैं?
खुफिया ब्यूरो के अधिकारी की भी गई जान
कश्मीर में हुए इस दुखद हमले के बाद घटनास्थल पर लोगों की भीड़ देर रात तक उमड़ती रही। पुलिस और सेना ने मौके पर पहुंचकर घायलों को तत्काल अस्पताल में भर्ती करवाया। जैसे ही शुभम और ऐशन्यां पर हमले की सूचना पिता तक पहुंची, वे उन्हें खोजने निकल पड़े।
शाम करीब साढ़े छह बजे पुलिस के माध्यम से शुभम की पहचान की गई। (kashmir terrorist attack) इस खबर के बाद शुभम के चाचा और अन्य परिवारजनों में शोक की लहर दौड़ गई और सभी सदस्य श्यामनगर स्थित अपार्टमेंट में एकत्र हुए। अपार्टमेंट के बाहर देर रात तक लोगों की भीड़ लगी रही।
इस हमले में खुफिया ब्यूरो (आईबी) के हैदराबाद में तैनात अधिकारी मनीष रंजन की भी जान चली गई। बिहार निवासी मनीष अपने परिवार संग छुट्टियाँ मनाने पहलगाम आए थे।
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, हमलावरों ने उन्हें उनकी पत्नी और बच्चे के सामने गोली मारी। मनीष पिछले दो वर्षों से आईबी के हैदराबाद कार्यालय के मंत्री अनुभाग में कार्यरत थे। उनके निधन से न सिर्फ परिवार, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों में भी शोक की लहर है।