पहलगाम हमला पुलवामा हमले के बाद भारतीय इतिहास के सबसे दर्दनाक और अमानवीय आतंकवादी हमलों में से एक बन गया है। (pahalgam attack) मंगलवार, 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पुलवामा ज़िले में एक बार फिर से आतंक का तांडव देखने को मिला, जब निर्दोष पर्यटकों पर जानलेवा हमला किया गया।
इस हमले में आतंकवादियों ने पहले पर्यटकों से उनके नाम पूछे और फिर अंधाधुंध गोलियां चलाकर 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी। यह हमला न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि मानवता के विरुद्ध एक सीधा और जघन्य अपराध भी है।
घटना स्थल पर चीख-पुकार और अफरातफरी का मंजर ऐसा था जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है। करीब 20 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और उन्हें विभिन्न अस्पतालों में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है।
घायलों की हालत को देखते हुए मृतकों की संख्या में वृद्धि की आशंका जताई जा रही है। मृतकों में दो विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, जिससे यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय बन गई है। (pahalgam attack)
इस भयानक हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने ली है, जो पहले भी भारत में कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे चुका है। यह घटना ऐसे समय पर घटी है जब अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस भारत के दौरे पर हैं।
इससे पहले 2020 में भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन घटनाओं से स्पष्ट होता है कि भारत में जब भी कोई अंतरराष्ट्रीय नेता आता है, उस दौरान आतंकी संगठन माहौल को खराब करने की कोशिश करते हैं।
also read: हिंदु होने की ये कैसी सजा,कलमा पढ़ने से इनकार तो गोली मारी, 6 दिन ही निभा सात जन्मों का साथ
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि आगामी 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा आरंभ होने वाली है और ऐसे समय में यह हमला यह संकेत देता है कि आतंकवादियों की मंशा न केवल दहशत फैलाने की है बल्कि भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक एकता पर चोट करने की भी है।
आमतौर पर आतंकी पर्यटकों को निशाना नहीं बनाते क्योंकि इससे स्थानीय जनता का समर्थन उनके प्रति कम हो जाता है। लेकिन अब इन संगठनों ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, जिससे यह प्रतीत होता है कि वे अब किसी भी मानवीय सरहद को मानने को तैयार नहीं हैं।
इस अमानवीय कृत्य की देशभर में कड़ी निंदा की जा रही है। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने इस हमले को कायरता की चरम सीमा बताया है। (pahalgam attack
शोक की इस घड़ी में पूरा देश एकजुट होकर आतंक के विरुद्ध अपने संकल्प को और मजबूत कर रहा है। भारत सरकार ने इस हमले के पीछे शामिल आतंकियों और उनके समर्थन करने वालों को कठोर सजा देने का आश्वासन दिया है।
यह समय न केवल शोक का है, बल्कि आत्ममंथन का भी है कि किस तरह से हम अपनी सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत बनाएं, ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं भविष्य में दोहराई न जा सकें। (pahalgam attack)
पुलवामा की यह त्रासदी एक बार फिर हमें यह याद दिलाती है कि आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है, और इसके खिलाफ लड़ाई को और अधिक गंभीरता और एकजुटता के साथ लड़ने की आवश्यकता है।
आतंकवाद की विभीषिका…कश्मीर घाटी
कश्मीर घाटी एक बार फिर से आतंकवाद की विभीषिका का शिकार बनी है। मंगलवार को दोपहर के समय जब पहलगाम की सुरम्य वादियों में पर्यटक प्रकृति के सौंदर्य का आनंद ले रहे थे, तभी बैसारन घाटी में आतंक का तांडव शुरू हो गया।
यह हमला दोपहर लगभग पौने तीन बजे हुआ, जब अचानक आतंकवादियों ने एक पर्यटक से उसका नाम पूछा और नाम सुनते ही उसके सिर में गोली मार दी। (pahalgam attack) यह बर्बरता यहीं नहीं रुकी—इसके बाद आतंकियों ने वहां मौजूद अन्य पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी और मौके से फरार हो गए।
इस क्रूर हमले में अब तक 26 लोगों की मृत्यु की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें एक इटली और एक इजराइली नागरिक सहित दो स्थानीय कश्मीरी नागरिक शामिल हैं।
इसके अलावा शेष मृतक पर्यटक भारत के विभिन्न राज्यों—गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा—से थे। साथ ही, इस हमले में 20 से अधिक लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से कई की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
हमले की खबर मिलते ही सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की। पहले तो प्रशासन ने एक ही मौत की जानकारी दी थी, लेकिन जैसे-जैसे स्थिति स्पष्ट होती गई, (pahalgam attack) रात आठ बजे तक यह संख्या बढ़कर 26 हो गई।
घटनास्थल को पूरी तरह से घेर लिया गया है और हमलावरों की तलाश में व्यापक तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। इलाके में हेलीकॉप्टर से निगरानी की जा रही है और जमीन पर विशेष सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी गई है।
पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला
यह हमला न सिर्फ एक सुरक्षा चूक की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि आतंकवाद अभी भी कश्मीर की धरती पर सक्रिय है और इसकी जड़ें गहरी हैं। (pahalgam attack) फरवरी 2019 में पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद यह सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है, जिसमें तब सीआरपीएफ के 47 जवान शहीद हुए थे।
इस हमले ने देश को एक बार फिर झकझोर कर रख दिया है। देशभर में इस बर्बर कृत्य की कड़ी निंदा की जा रही है और शोक की लहर दौड़ पड़ी है। पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए सरकार ने आतंकियों को जल्द से जल्द पकड़ने और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
यह हमला न केवल निर्दोष लोगों की जान लेने वाला कृत्य है, बल्कि यह मानवता पर हमला है, पर्यटन पर हमला है और शांति एवं सौहार्द के वातावरण को बिगाड़ने की साजिश है। (pahalgam attack) ऐसे समय में देशवासियों को एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की घटनाएं दोबारा ना हों।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उच्चस्तरीय बैठक
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद पूरे देश में चिंता का माहौल बन गया है। इस हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस समय सऊदी अरब की यात्रा पर हैं, ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत की।
प्रधानमंत्री मोदी ने गृह मंत्री शाह को निर्देश दिया कि वे तत्काल घटनास्थल की स्थिति का जायजा लेने श्रीनगर रवाना हों। प्रधानमंत्री के निर्देश के तुरंत बाद अमित शाह ने बिना समय गंवाए श्रीनगर के लिए प्रस्थान किया। (pahalgam attack)
मंगलवार की देर शाम श्रीनगर पहुंचते ही अमित शाह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक आपातकालीन उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर की वर्तमान सुरक्षा स्थिति, अमरनाथ यात्रा की तैयारियों और विशेष रूप से पहलगाम रूट की सुरक्षा को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में खुफिया एजेंसियों, सैन्य अधिकारियों और जम्मू-कश्मीर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी साझा की। (pahalgam attack)
इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी से बात की और घटनास्थल की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सेना को स्थिति पर कड़ी नजर बनाए रखने और आवश्यकतानुसार कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
गौरतलब है कि अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू होने जा रही है और यह नौ अगस्त तक चलेगी। यह यात्रा लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, और हर वर्ष देश-विदेश से श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं।
इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग पहलगाम रूट है, जो अपेक्षाकृत आसान माना जाता है। हालांकि इस रूट से गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगते हैं, फिर भी श्रद्धालु इस मार्ग को प्राथमिकता देते हैं। इस रूट पर पहला पड़ाव चंदनवाड़ी होता है, जो यात्रा की शुरुआत का महत्वपूर्ण बिंदु है। (pahalgam attack)
ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद बनाए रखना न केवल प्रशासन बल्कि केंद्र सरकार की भी प्राथमिकता बन चुकी है। अमित शाह की यह यात्रा और बैठक इस बात का संकेत है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में अमन-शांति और श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क और प्रतिबद्ध है।