श्रीनगर। केंद्र शासित सरकार की ओर से मौखिक आश्वासन (Verbal Assurance) दिया गया है कि राज्य की भूमि के बहुत छोटे क्षेत्रों और ‘कचहरी’ (चारागाह जमीन) पर घर या दुकान वाले किसानों और गरीब लोगों को बेदखल नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके कश्मीर के गांवों में डर का माहौल बना हुआ है। घाटी के विभिन्न जिलों में कचहरी भूमि पर अवैध कब्जा (Illegal Possession) करने वालों की आधिकारिक सूची में उन किसानों और गरीब लोगों को भी शामिल किया गया है, जिनका अवैध कब्जा ‘मरला’ (एक कनाल में 20 मरला भूमि शामिल है) में है। उदाहरण के लिए, गांदरबल जिले में अवैध कब्जाधारियों की सूची में वे भी शामिल हैं, जिनके पास सिर्फ 1, 2 या 5 मरला का अवैध कब्जा है।
गांदरबल जिले के गुलाम अहमद मागरे (Ghulam Ahmed Magrey) ने कहा, अगर कचहरी के अवैध कब्जेदारों की सूची में शामिल सभी लोगों को बेदखल कर दिया जाता है, तो यह आम जनता और प्रशासन दोनों के लिए एक व्यापक अराजकता होगी। आंकड़ों को देखकर यह कहा जा सकता है कि जमीन के आखिरी मरला तक पूरी तरह से बेदखल किए जाने पर आदमी, मशीनरी (Machinery) और आम आदमी (Common Man) की कितनी बड़ी भागीदारी है। घाटी के 10 जिलों में 3,04,366 कनाल कचहरी भूमि (Canal Court Land) है। इसमें से अनंतनाग जिले (Anantnag District) में 34,309 कनाल कचहरी, कुलगाम 22,616, पुलवामा 50,537, शोपियां 19,514, श्रीनगर 10,180, बडगाम 36,244, गांदरबल 9,261, बारामुला 47,476, कुपवाड़ा 53,342 और बांदीपोरा 20,887 कनाल है।
अधिकारियों का दावा है कि अवैध रूप से कब्जा की गई कुल कचहरी भूमि में से रविवार तक अवैध कब्जाधारियों को बेदखल करने के बाद 1,70,918 कनाल को बहाल कर दिया गया है। सरकारी आश्वासन कि अतिक्रमण विरोधी अभियान (Anti Encroachment Campaign) से किसान और गरीब लोग प्रभावित नहीं होंगे, अभी भी कुछ आधिकारिक आदेश द्वारा पुष्टि नहीं की गई है। छोटे किसान और गरीब लोग डरे हुए हैं कि उनके घरों को तोड़ने के आदेश आ सकते हैं। ऐसे में क्रेंद शासित प्रशासन के पास अपने मौखिक आश्वासन को आधिकारिक बनाने का सही समय है।