नई दिल्ली। पाकिस्तान ने भारत को जंग की धमकी दी है। उसने कहा है कि भारत ने अगर पानी रोका तो इसे जंग माना जाएगा। पाकिस्तान ने यह भी कहा कि पानी रोका गया तो खून बहेगा। गौरतलब है कि पहलगाम में पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने सिंधु जल संधि स्थगित करने का फैसला किया है। इसके बाद गुरुवार को पाकिस्तान में एक अहम बैठक हुई, जिसमें पानी रोकने पर जंग की धमकी दी गई। इतना ही नहीं पाकिस्तान ने अपना एयरस्पेस बंद करने का ऐलान किया है और साथ ही शिमला समझौता रद्द करने की धमकी भी दी है।
पाकिस्तान की नेशनल सिक्योरिटी कमेटी यानी एनसीएस की एक बैठक गुरुवार को प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक के बाद पाकिस्तान ने कहा कि अगर भारत सिंधु जल समझौते को रोकता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर यानी जंग की तरह माना जाएगा। बैठक के बाद कहा गया, ‘पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का सभी क्षेत्रों में मजबूती से जवाब दिया जाएगा’। इसके साथ ही पाकिस्तान ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा, ‘हम किसी भी आतंकवादी गतिविधि की निंदा करते हैं’।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के मामले में गुरुवार को कहा कि यह पाबंदी सही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमें बातचीत से मसले हल करने चाहिए’। इस बीच पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में भारतीय उच्यायोग के बाहर भीड़ ने जमकर हंगामा किया, कुछ लोगों ने गेट फांदने की भी कोशिश की और भारत विरोधी नारे लगाए। आरोप लग रहे हैं कि पाकिस्तान ने जान बूझकर भारतीय उच्यायोग के बाहर से सुरक्षा हटा ली है।
पाकिस्तानी अखबार ‘डॉन’ के मुताबिक एनसीएस की बैठक में कहा गया कि भारत में वक्फ विधेयक को जबरन पारित कराया गया, यह मुसलमानों को हाशिए पर डालने का प्रयास है। गौरतलब है कि पाकिस्तान पहले भी पहलगाम हमले को भारत का घरेलू मामला बता चुका है। बहरहाल, दोनों देशों के बीच हुए दोपक्षीय समझौतों में शिमला समझौता सबसे अहम है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच दो जुलाई 1972 को हुआ था। इस दोपक्षीय समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने दस्तखत किए थे।
यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद हुआ था। इस समझौते में य़ह तय हुआ था कि दोनों देश आपस के सारे मुद्दे दोपक्षीय वार्ता से सुलझाएंगे, नियंत्रण रेखा का उल्लंघन नहीं करेंगे और कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं ले जाएंगे। इस समझौते के तहत ही पाकिस्तान के बंदी बनाए गए 96 हजार जवान छोड़े गए थे।
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