Wednesday

23-04-2025 Vol 19

तकलीफों में खदबदाता पूर्वांचल

बस्ती। लखनऊ से बनारस और इनके अगल-बगल के जौनपुर, सुल्तानपुर, अयोध्या, प्रयागराज, और बस्ती से फिर गोरखपुर घूमते चुनावी मूड अनहोना लगा है। जैसे बस्ती के रूधौली में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पर लोग बात करते मिले। दूसरी बात, दलित के साथ ब्राह्मण वोट में बसपा का दम दिखा। तीसरी बात, विधायक उम्मीदवारों के खिलाफ एंटी इनकम्बैंसी की नाराजगी अधिक। बस्ती जिले की रूधौली सीट पर आम आदमी पार्टी के पुष्कर आदित्य सिंह मुकाबले में बताए जा रहे हैं। जिसे लेकर एक भाजपा समर्थक राजेश पांडे ने कहा- ठाकुर के वोट काटेंगे आदित्य सिंह। लोगों का मानना है कि ठाकुर वोटों में आप की सेंध से भाजपा की उम्मीदवार संगीता देवी की मुश्किल है, जो वैसे भी एंटी इनकम्बैंसी और अपने पति संजय प्रताप जायसवाल की चर्चाओं से घिरी हुई हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं में उनका टिकट कटना तय माना जा रहा था लेकिन पार्टी ने उन्हें ही उम्मीदवार बनाया तो उनसे अधिक आप के उम्मीदवार का हल्ला! रूधौली में चाय के एक सियासी अड्डे के मालिक दुर्गेश शुक्ला ने बताया- संगीता देवी के खिलाफ मूड है। UP elections Purvanchal

मूड बस्ती की पांचों सीटों पर गड़बड़। सभी सीटों को लेकर आम राय कि कांटे का मुकाबला है। सन् 2017 के चुनाव में पांचों सीटें भाजपा ने जोरदार ढंग से जीती थी। जबकि अब कांटे के मुकाबले की चाय के अड्डे की चर्चा में किसी ने भी नहीं कहा कि पांच में से फलां सीट भाजपा की पक्की। सभी सीटों पर कांटे की लड़ाई। और बस्ती जिले बसपा व आप भी फैक्टर!

बस्ती की रूधौली, बस्ती सदर, हरैया, कप्तानगंज, महादेवा की पांचों सीटों में निर्णायक वोट दलित और ब्राह्मण है। इसलिए 2017 से पहले तक जिले में बसपा और सपा का दबदबा था। 2017 की मोदी लहर में सभी सीटों पर भाजपा की जीत का करिश्मा ब्राह्मणों के एकमुश्त भाजपा रूझान से था। अब वैसा रूझान नहीं। दुर्गेश शुक्ला ने ब्राह्मणों का बिगड़ा मूड बताते हुए भाजपा उम्मीदवार पर कहा- पांच साल ना मिली, ना बात की और अब आ कर वोट मांग रही है।

Read also पूर्वांचल की सनसनी नेहा सिंह राठौर!

इसी से चाय के अड्डे पर भड़ास शुरू। दिल-दिमाग में छुपे मुद्दे, छोटी-छोटी तकलीफें निकल पड़ीं। 63 वर्षीय तुलसी राम यादव बोले- इन सबसे पूछिए, बसपा या सपा के राज में थी कभी आवारा पशुओं की समस्या… अब क्यों इतनी हो गई?

एडवोकेट धर्मेंद्र कुमार ने पलट कर कहा– नाम (यादव) से पता है कि तुम किसको वोट दोगे।

तुलसीराम ने अपने नुकसान को याद कर गुस्साते हुए कहा– कितना नुकसान हो गया है हमारा यह कहां तुम समझ सकते हो।

यह फर्क है कस्बाई गैर-खेतिहर वोटर और खेतिहर वोटर का। तुलसी राम किसान हैं, गेहूं-धान की खेती करते हैं। पहले गन्ने की भी खेती करते थे। चार साल पहले तक इलाके के किसान गन्ने की भी खेती करते थे। वह अब नहीं होती।

क्यों? – मैंने पूछा।

इलाके की सबसे बड़ी गन्ना मिल वाल्टरगंज शुगर मिल बंद हो गई और इससे किसानों को बहुत नुकसान हुआ।

अंशकालिक पत्रकार अनिल कुमार ने बताया आवारा पशुओं से हर किसान परेशान है। चुनाव में दूसरा निर्णायक फैक्टर जात है। जातीय समीकरण से वोट पड़ेंगे। बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दे यूथ में हैं। भाजपा के मौजूदा विधायकों से नाराजगी का मसला सभी ओर सुनाई देता है। लगता है सपा और बसपा ने निश्चित ही भाजपा से बेहतर हिसाब लगा कर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं।

मध्य यूपी की तुलना में पूर्वांचल में लोग कम बोलते मिले। मुखर ब्राह्मण भी अधिक बोलता हुआ नहीं। कमलेश त्रिपाठी ने कहा- वोट और राजनीति पर क्या बात करें। अपने बच्चों को पहले पढ़ा लें वहीं बहुत हैं। यह बेरूखी-बेतुकी बात उदासीनता बताने वाली थी। बावजूद इसके कई ब्राह्मण अपने वोट के दबदबे को समझाते और कहते हुए थे कि बसपा ने अशोक मिश्रा को खड़ा किया है। तभी बकौल राजेश पांडे- यहां मुकाबला बसपा बनाम सपा का है।

Read also सिराथू में केशव मौर्य का पसीना छूटा!

रूधौली के मतदाताओं में सबसे ज्यादा दलित, फिर ब्राह्मण, फिर कुर्मी और मुस्लिम वोट हैं। इसलिए ब्राह्मण बंटे या बसपा के ब्राह्मण उम्मीदवार को जाए और ठाकुर वोट आप का उम्मीदवार काटे तो भाजपा के 2017 के वोट आधार का क्या होगा, इस जातीय राजनीति पर ही बस्ती में चुनावी चखचख है। बस्ती में लगा जैसे मुसलमान मन की बात नहीं बताता है वैसे पूर्वांचल में ब्राह्मण भी मोटा मोटी गुमसुम है। वह फटाक नहीं बोलता कि आएगा तो योगी!

ब्राह्मण वोटों में बुजुर्ग, मध्य उम्र और घर की जिम्मेवारियों व खेती करते हुए लोग जीवन की तकलीफों, खासकर महंगाई और बच्चों के भविष्य पर ज्यादा सोचते हुए हैं बनिस्पत राष्ट्रवाद-हिंदुत्व के। मगर कई किंतु-परंतु के साथ। तभी विकल्प और मूड को लेकर मौन हैं।

श्रुति व्यास

संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *