Monday

31-03-2025 Vol 19

मोदी मैजिक की कर्नाटक में हो रही परीक्षा

जिस तरह से कर्नाटक का चुनाव कांग्रेस आलाकमान के लिए परीक्षा है वैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी यह परीक्षा की तरह है। उनके जादू की परीक्षा हो रही है। यदि  बीएस येदियुरप्पा के बगैर भाजपा कर्नाटक में जीती तो भाजपा के सभी पुराने प्रादेशिक क्षत्रपों का बोरिया बिस्तर बंधेगा। और अगर मोदी की इतनी मेहनत के बावजूद भाजपा नहीं जीती तो उसके दो नुकसान हैं। पहला तो यह कि दक्षिण भारत में भाजपा का प्रवेश द्वार बंद हो जाएगा। दूसरा यह कि भाजपा के प्रादेशिक क्षत्रपों को ताकत मिलेगी। भाजपा आलाकमान की उन पर निर्भरता बढ़ेगी। उन्हें किनारे करके मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का फैसला करने से पहले भाजपा को दस बार सोचना पड़ेगा।

सवाल है कि क्या नरेंद्र मोदी और भाजपा के चुनाव रणनीतिकारों को इसका अंदाजा नहीं है? प्रधानमंत्री मोदी ने काफी देर से कर्नाटक में चुनाव प्रचार शुरू किया। पहले कहा जा रहा था कि उनको चुनाव नतीजों का अंदाजा है इसलिए वे कम प्रचार करेंगे। लेकिन अब फिर उन्होंने अपने को झोंका है। वे अब तक एक दर्जन रैलियां कर चुके हैं और बेंगलुरू व मैसुरू जैसे बड़े शहरों में रोड शो किया है। शनिवार को वे फिर दो दिन के दौरे पर कर्नाटक पहुंचेंगे। तो बेंगलुरू में दो दिन में 36 किलोमीटर का रोड शो करेंगे। पहले यह रोड शो एक दिन में होना था लेकिन बेंगलुरू की ट्रैफिक समस्या और लोगों की परेशानियों का इतना हल्ला मचा कि पार्टी को इसे दो दिन में करना पड़ रहा है। इन दो दिनों में प्रधानमंत्री की कई चुनावी रैलियां भी होंगी।

उन्होंने अब तक के प्रचार में सारे दांव आजमाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान के बाद उन्होंने अपने अपमान का मुद्दा बनाया। मोदी ने रैलियों में कहा कि कांग्रेस ने उनको 91 बार गालियां दी हैं। सारे नेताओं ने कहना शुरू किया कि मोदी पर जितना कीचड़ उछालोगे उतना कमल खिलेगा। इसके बाद उन्होंने अपने को शंकर भगवान के गले की शोभा बता कर वोट मांगा। बाद में जब कांग्रेस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की तरह बजरंग दल पर भी पाबंदी लगाने का वादा किया तो प्रधानमंत्री मोदी ने जय बजरंग बली के नारे लगा कर वोट मांगा। इस तरह प्रधानमंत्री सारे दांव आजमा रहे हैं।

इसमें संदेह नहीं है कि भाजपा नहीं जीतेगी तो न मीडिया उसका ठीकरा प्रधानमंत्री मोदी पर फोड़ेगा और न भाजपा। सब यही कहेंगे कि जितनी भी सीटें मिली हैं वह मोदी मैजिक से मिली हैं। अगर उन्होंने इतना सघन प्रचार नहीं किया होता तो पार्टी इतनी सीटें भी नहीं जीत पाती। लेकिन इस प्रचार के बावजूद भाजपा के हारने का असर पार्टी की आगे की चुनाव रणनीति पर पड़ेगा। प्रादेशिक क्षत्रपों और बड़े जातीय समूहों को नेतृत्व करने वाले नेताओं को हाशिए पर डालने की योजना स्थगित करनी पड़ेगी। कट्टर हिंदुत्व के मुद्दों को लेकर भी पार्टी को नए सिरे से सोचना होगा।

हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *