‘नाटू नाटू’ का हिंदी अर्थ ‘नाचो नाचो’ है और इसने पश्चिमी मीडिया और वहां के फिल्म समीक्षकों को भी नचा डाला है। स्टीवन स्पीलबर्ग तक ने इसकी तारीफ की। फिल्म के कन्नड़ संस्करण में ‘नाटू नाटू’ को ‘हल्ली नातु’, मलयालम में ‘करिनथोल’ और तमिल में ‘नट्टू कूथु’ कहा गया है। कीरवानी ने इसके संगीत में कई ऐसे प्रयोग किए हैं कि सुनने वाला चक्कर खा जाए। मगर इसमें सबसे टेढ़ा काम इसके कोरियाग्राफर प्रेम रक्षित का था।
परदे से उलझती ज़िंदगी
एआर रहमान के बाद एमएम कीरवानी। एक बार फिर इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भारत में दक्षिण के रास्ते आया है। कीरवानी के पिता कोडुरी शिव शक्ति दत्ता गीतकार और पटकथा लेखक थे और मां बाला सरस्वती गायिका थीं। अभी महीने भर पहले मां का निधन हुआ है। कैलिफोर्निया के बेवर्ली हिल्टन में हुए गोल्डन ग्लोब पुरस्कार समारोह में ‘नाटू नाटू’ के जीतने की घोषणा पर जब कीरवानी मंच पर पहुंचे तो समय कम होने और खुशी के शोर के कारण वे यह पुरस्कार अपनी मां को समर्पित भी नहीं कर सके। निर्माता-निर्देशक एसएस राजामौली और ‘आरआरआर’ के दोनों मुख्य अभिनेता रामचरण तेजा और जूनियर एनटीआर उस समय तालियां पीट रहे थे। उस हॉल में हालांकि कई लोग हक्के-बक्के भी दिखे। शायद उन्हें ‘लिफ्ट मी अप’ के लिए रिहाना के जीतने की उम्मीद थी, मगर हो कुछ और गया था।
कीरवानी ने तमिल, तेलुगू और कन्नड़ के अलावा अलग नाम से कई हिंदी फिल्मों में भी संगीत दिया है। वे गाते भी हैं और गीतकार भी हैं, मगर उनका मुख्य क्षेत्र संगीत है। तेलुगु की ‘अन्नमय्या’ के लिए 1997 में उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। ‘आरआरआर’ से पहले राजामौली की ‘बाहुबली-एक’ और ‘बाहुबली-दो’ में भी उनका ही संगीत था। दिलचस्प बात यह है कि राजामौली और कीरवानी आपस में रिश्तेदार हैं। कीरवानी की पत्नी श्रीवल्ली असल में राजामौली की पत्नी रमा की बहन हैं। रमा अभिनेत्री रह चुकी हैं और अब कॉस्ट्यूम डिजाइनर का काम करती हैं। ‘आरआरआर’ में भी उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई है। पुरस्कृत गीत को तेलुगु में चंद्रबोस ने लिखा है और इसे गाया है राहुल सिपलीगंज और काल भैरव ने। इनमें से काल भैरव पुरस्कार जीतने वाले कीरवानी साहब के बेटे हैं।
देखिए कैसा पारिवारिक मामला है। राजामौली की ‘बाहुबली’ सीरीज की तरह ‘आरआरआर’ की कहानी भी उनके पिता वी विजयेंद्र प्रसाद ने लिखी है। ये वही विजयेंद्र प्रसाद हैं जो राष्ट्रीय स्वसंयेवक संघ पर फिल्म बनाने वाले थे। कई महीने पहले जब यह खबर आई थी, तब कहा गया था कि संघ और भाजपा के नेता राम माधव इस सिलसिले में उनके संपर्क में हैं। पता नहीं उस प्रोजेक्ट की अब क्या स्थिति है, लेकिन भाजपा इसमें आर्थिक सहयोग करने वाली थी। वैसे इस मामले से राजामौली का कोई संबंध नहीं था।
बहरहाल, ‘नाटू नाटू’ का हिंदी अर्थ ‘नाचो नाचो’ है और इसने पश्चिमी मीडिया और वहां के फिल्म समीक्षकों को भी नचा डाला है। स्टीवन स्पीलबर्ग तक ने इसकी तारीफ की। फिल्म के कन्नड़ संस्करण में ‘नाटू नाटू’ को ‘हल्ली नातु’, मलयालम में ‘करिनथोल’ और तमिल में ‘नट्टू कूथु’ कहा गया है। कीरवानी ने इसके संगीत में कई ऐसे प्रयोग किए हैं कि सुनने वाला चक्कर खा जाए। मगर इसमें सबसे टेढ़ा काम इसके कोरियाग्राफर प्रेम रक्षित का था।
राजामौली इस गीत के फिल्मांकन में जो परफेक्शन चाहते थे उसके लिए सभी से भारी मेहनत करवाई गई। रामचरण तेजा ने कहा कि ‘वह मेहनत एक खूबसूरत यातना से गुजरने जैसा था। मगर उसी की बदौलत आज हम यहां पहुंचे हैं।‘ करीब दो महीने की रिहर्सल के बाद बारह दिन तक इस गीत की शूटिंग चली जो यूक्रेन के मरिंस्की पैलेस यानी प्रेसिडेंशियल पैलेस में हुई। यह अगस्त 2021 की बात है। मतलब यूक्रेन और रूस के बीच अभी जो युद्ध चल रहा है उसके छिड़ने से छह महीने पहले। गोल्डन ग्लोब जीतने से ऑस्कर के लिए भी इस गीत के चांस बढ़ गए माने जा रहे हैं। वहां भी‘आरआरआर’बेस्ट ओरिजिनल सॉन्ग श्रेणी में शॉर्टलिस्ट हुई है।
एक बात और, जब से ‘नाटू नाटू’ ने गोल्डन ग्लोब जीता है, तभी से सिंक्रोनाइज़्ड डांसिंग की काफी चर्चा हो रही है। दो या उससे ज्यादा लोग एकसाथ समान स्टेप्स के साथ डांस करें तो उसे सिंक्रोनाइज़्ड डांसिंग कहेंगे, ठीक सिंक्रोनाइज़्ड स्विमिंग की तरह। ‘नाटू नाटू’ में जूनियर एनटीआर और राम चरण तेजा का तेज रफ़्तार सिंक्रोनाइज़्ड डांस दर्शकों को ऐसा चमत्कृत करता है कि उससे कीरवानी की मेहनत का फल दोगुना हो गया है। क्या कीरवानी की जीत में इस गीत के फिल्मांकन का भी हाथ है? और क्या केवल सुनने पर भी इस गीत का वैसा ही प्रभाव पड़ेगा जैसा फिल्म में देखने पर पड़ता है?
याद कीजिये, ‘पाकीज़ा’ में मीना कुमारी पर फिल्माया गया ‘चलते चलते यूं ही कोई मिल गया था’ वाला गीत। मीना की तबियत उन दिनों ठीक नहीं थी और उनकी स्थूलता भी बढ़ गई थी। मगर परदे पर गति पैदा करने के लिए डांस जरूरी था। सो, कमाल अमरोही ने मीना की बजाय दो अन्य लड़कियों से डांस करवाया। गीत मीना कुमारी पर फिल्माया गया, लेकिन पूरे गीत में वे दो लड़कियां लगातार डांस करती रहती हैं। मीना के आगे-पीछे या अगल-बगल। वे कभी दिखती हैं, कभी नहीं दिखतीं, लेकिन उनका डांस चलता रहता है। बिल्कुल एक सा, यानी सिंक्रोनाइज़्ड डांस। खास बात यह है कि लता मंगेश्कर के गाए और गुलाम मोहम्मद के संगीत वाले उस गीत को आप फिल्म के अलावा भी सुनें तब भी वह उतना ही मधुर और उतना ही दिलकश है। ‘नाटू नाटू’ फिल्म के बाहर कैसा लगेगा, इसे भी आप जब चाहें परख सकते हैं। लेकिन फिलहाल यह एसएस राजामौली और एमएम कीरवानी के जीवन का सबसे खुशनुमा और यादगार गीत है।