Wednesday

23-04-2025 Vol 19

मंशा पर था शक

प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन में तकाजा अधिक पारदर्शिता की है, ना कि स्थापित पारदर्शी प्रक्रियाओं से छेड़छाड़ करने की। वैसे भी यह विडंबना है कि ‘न्यूनतम सरकार’ देने के साथ सत्ता में आई वर्तमान सरकार ने अपना दायरा बढ़ाने की ऐसी कोशिश की है। 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया कि स्पेक्ट्रम आवंटन का अधिकार फिर से सरकार को दिया जाए। कोर्ट की रजिस्ट्रार ने सर्वोच्च न्यायालय के नियम 13 का हवाला देते हुए याचिका को दर्ज करने से इनकार किया। इस नियम के तहत कोर्ट किसी ऐसी याचिका को विचार के लिए स्वीकार करने से इनकार कर सकता है, जिसमें सुनवाई के लिए तार्किक आधार ना बताया गया।

कोर्ट के रजिस्ट्रार ने इस याचिका को इसी श्रेणी में रखा। केंद्र ने कहा था कि स्पेक्ट्रम एक दुर्लभ संसाधन है, इसलिए उसके प्रशासनिक आवंटन का पूरा प्रभार सरकार के पास होना चाहिए। जबकि 12 साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने ही यह प्रभार केंद्र से छीन लिया था। तब 2-जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में कथित घोटाले का विवाद गर्म था। उसी पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि आगे से स्पेक्ट्रम का आवंटन नहीं, बल्कि पारदर्शी प्रक्रिया के साथ उसकी नीलामी होगी।

तब से 3-जी, 4-जी और 5-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई है, जिनसे सरकार को भारी राजस्व भी प्राप्त हुआ है। दरअसल, जिन दिनों ये फैसला आया, तभी कोयला खदानों के आवंटन में गड़बड़ी का मसला भी उठा था। उस मामले में भी कोर्ट ने खदानों की नीलामी का निर्देश दिया था। इन निर्णयों से प्राकृतिक संसाधनों को निजी क्षेत्र को देने बारे में नया नियम अस्तित्व में आया। अब केंद्र उस प्रक्रिया को क्यों बदलना चाहता है, यह उसने नहीं बताया है।

जिस दौर में निजीकरण की चली प्रक्रिया पर संदेह गहराते गए हैं, उसमें एक तयशुदा पारदर्शी विधि को बदलने की कोशिश के पीछे केंद्र की क्या मंशा है, इसे संभवतः उसने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी स्पष्ट नहीं किया था। ऐसे में कोर्ट का उस पर विचार करने से इनकार करना सही और स्वागतयोग्य कदम माना जाएगा। ऐसे मामलों में तकाजा अधिक से अधिक पारदर्शिता की है, ना कि स्थापित हो चुकी पारदर्शी प्रक्रियाओं से छेड़छाड़ करने की। वैसे भी यह एक बड़ी विडंबना है कि ‘न्यूनतम सरकार’ देने के साथ सत्ता में आई वर्तमान सरकार ने अपना दायरा बढ़ाने की ऐसी कोशिश की है।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *