Wednesday

23-04-2025 Vol 19

उछला धारावी का मुद्दा

उद्धव ठाकरे ने धारावी के निवासियों को साथ लेकर अडानी समूह की पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ा है। इस दौरान ध्यान खींचने वाली बात यह हुई कि उनकी इस मुहिम में ना सिर्फ कांग्रेस, बल्कि लेफ्ट और अंबेडकरवादी संगठन भी शामिल हुए हैँ।

शिवसेना के नेता उद्धव ठाकरे ने गंभीर आरोप लगाया है कि उनकी सरकार को धारावी परियोजना रोकने की वजह से गिराया गया। परोक्ष रूप से उन्होंने अडानी ग्रुप को निशाने पर लिया है। ठाकरे मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती के कथित पुनर्विकास के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरे हैं। इसी दौरान उन्होंने कहा कि चूंकि उनकी सरकार ने धारावी से निवासियों को हटाकर वहां की जमीन देने से इनकार किया, इसलिए उनकी पार्टी तोड़ी गई और उनकी सरकार गिराई गई। अब उद्धव ठाकरे ने धारावी के निवासियों को साथ लेकर अडानी समूह की पुनर्विकास परियोजना के खिलाफ आंदोलन छेड़ा है। इस दौरान ध्यान खींचने वाली बात यह हुई कि उनकी इस मुहिम में ना सिर्फ कांग्रेस, बल्कि लेफ्ट और अंबेडकरवादी संगठन भी शामिल हुए हैँ। पहली रैली में बड़ी संख्या में धारावी के निवासियों ने भी भागीदारी की। इस बीच कांग्रेस ने धारावी को अडानी ग्रुप को सौंपने के फैसले को महा-घोटाला कहा है।

पार्टी ने एक बयान में आरोप लगाया कि धारावी प्रोजेक्ट के तहत अडानी समूह को 10.5 करोड़ वर्ग फीट की जायदाद का हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) दे दिया गया है। यह क्षेत्र धारावी के वर्तमान इलाके से छह से सात गुना ज्यादा है। टीडीआर सिस्टम के तहत बिल्डर किसी क्षेत्र में जो निर्माण कार्य करते हैं, उनके बदले दूसरे इलाकों को डेवलपमेंट करने उन्हें का अधिकार मिलता है। मतलब यह कि अडानी ग्रुप धारावी में जो निर्माण कार्य करेगा, उसके बदले उसे से सात गुना अधिक बड़े इलाके को डेवलप करने का अधिकार भी मिलेगा। कांग्रेस का आरोप है कि टीडीआर के आरंभिक टेंडर में अडानी समूह को पांच करोड़ वर्ग फीट क्षेत्र मिलने की बात थी। लेकिन बाद में उसे 110 प्रतिशत बढ़ा दिया गया, जिससे इस समूह के मुनाफे में 434 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी। विरोध पर उतरी पार्टियों का आरोप है कि इस परियोजना के तहत धारावी के बहुत से वर्तमान निवासी रिहाइश से वंचिंत हो जाएंगे। ये सारे गंभीर आरोप हैं। अपेक्षित है कि महाराष्ट्र और केंद्र की सरकारें इनका तथ्यात्मक जवाब दें। वरना, धारावी का आंदोलन एक बड़े विरोध की शक्ल ले सकता है।

NI Editorial

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