Thursday

24-04-2025 Vol 19

शेयर बाजार में ‘खेल’?

खुद सेबी कह चुका है कि एफएंडओ में ज्यादातर निवेशकों को नुकसान हुआ है। इसलिए राहुल गांधी ने कोई नया तथ्य नहीं बताया है। लेकिन उनकी यह मांग महत्त्वपूर्ण है कि जिन ‘बड़े खिलाड़ियों’ ने असाधारण मुनाफा कमाया, उनके नाम बताए जाएं।

विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शेयर बाजार से संबंधित फ्यूचर्स एंड ऑप्शन्स (एफएंडओ) के कारोबार में छोटे निवेशकों को हुए नुकसान का मामला उठाया है। संकेतों में उन्होंने इस धंधे में किसी बड़े ‘खेल’ का संदेह जताया है। गांधी ने कहा- ‘एफएंडओ की अनियंत्रित ट्रेडिंग पिछले पांच वर्षों में 45 गुना बढ़ी है। पिछले तीन साल में 90 फीसदी छोटे निवेशकों ने इसमें एक लाख 80 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाया है। सेबी को उन बड़े खिलाड़ियों के नाम अवश्य बताना चाहिए, जो छोटे निवेशकों की कीमत पर भारी मुनाफा कमा रहे हैं।’ उपलब्ध जानकारी के मुताबिक हजारों छोटे निवेशक इस कारोबार में अपने हाथ जला चुके हैं। एफएंडओ में निवेश पर असामान्य मुनाफा होता दिखता है। इस कारण लाखों छोटे निवेशक इस ओर आकर्षित हुए हैं। मगर तजुर्बा यह है कि यहां जिस तेजी से भाव बढ़ता है, अचानक उतनी ही तेजी से वह गिर जाता है। संदेह यह है कि बड़े निवेशक- जो करोड़ों रुपये लगाते हैं, वे संगठित रूप से एफएंडओ की कीमत को मैनुपुलेट करते हैं। वैसे भी फ्यूचर्स एक तरह का जुआ ही है।

कुछ समय पहले खुद सेबी ने कहा था कि एफएंडओ में ज्यादातर निवेशकों (निर्विवाद रूप से वे छोटे निवेशक ही हैं) को गुजरे वर्षों में नुकसान हुआ है। इसलिए राहुल गांधी ने यह कोई नया तथ्य नहीं बताया है। लेकिन उनकी मांग महत्त्वपूर्ण है कि जिन ‘बड़े खिलाड़ियों’ ने असाधारण मुनाफा कमाया है, उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं। मुमकिन है कि इस रास्ते में कुछ कानूनी बाधाएं हों। तमाम निवेशक आय कर रिटर्न में यह ब्योरा देते हैं कि शेयर मार्केट से उन्हें कितनी आमदनी हुई। लेकिन क्या किसी की निजी आमदनी या धन के बारे में कानून सूचना सार्वजनिक की जा सकती है, यह स्पष्ट नहीं है। बहरहाल, चूंकि राहुल गांधी ने यह मामला उठाया है, तो इसका यह असर जरूर होगा कि एफएंडओ के बारे में जन चेतना बढ़ेगी। शेयर बाजारों में ‘खेल’ होना कोई अजूबा नहीं है। समय-समय पर ऐसे मामलों का खुलासा होता रहता है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसे रोकने के पर्याप्त कदम आज तक नहीं उठाए गए।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *