rbi policy : भारतीय रिजर्व बैंक ने मुंबई स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के लेन-देन पर रोक लगा दी है। को-ऑपरेटिव बैंक के संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है। बैंक संचालकों पर जमाकर्ताओं के पैसे के गबन का आरोप है।
मामला काफी कुछ 2019 में हुए पीएमसी बैंक घोटाले जैसा ही। आरबीआई ने कार्रवाई भी लगभग वैसी ही की है। मगर यह साफ है कि विनियमन को कारगर बनाने और जमाकर्ताओं के हित की रक्षा के तमाम आश्वासनों के बावजूद पांच साल में कुछ नहीं बदला। (rbi policy)
उधर तेलंगाना में पोंजी स्कीम के झांसे में आकर हजारों निवेशकों के लगभग 850 करोड़ रुपये डूब गए हैं। हमेशा की तरह निवेशकों को कम समय में अधिक रिटर्न का लालच दिया गया। तेलंगाना पुलिस के मुताबिक फंसे निवेशकों की संख्या 6,000 से ज्यादा है।
निवेशकों ने फाल्कन इनवॉइस डिस्काउंटिंग कंपनी की स्कीम में निवेश किया। निवेशकों को अमेजन और ब्रिटानिया जैसी कंपनियों से जोड़ कर 22 प्रतिशत तक का रिटर्न देने का वादा किया गया था।
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निवेशकों से 17 अरब रुपये जुटाए (rbi policy)
पुलिस के मुताबिक फाल्कन 2021 से सक्रिय थी और लगभग 7,000 निवेशकों से 17 अरब रुपये जुटाए। इनमें से केवल आधे को ही पैसे वापस किए गए। (rbi policy)
कम समय में अधिक रिटर्न देने का दावा करने वाले ऐसे घोटाले पहले भी हो चुके हैं। खुद सरकारी अधिकारी फर्जी निवेश योजनाओं के जरिए ठगी की शिकायतों में हुई बढ़ोतरी पर चिंता जता चुके हैं।
हालिया वर्षों में फर्जी ऐप, वेबसाइट और कॉल सेंटर बना कर निवेशकों को लूटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। सिर्फ इस सदी की बात करें, तो ऐसे घोटालों के शिकार निवेशकों की संख्या करोड़ों में है। (rbi policy)
साइबर क्राइम इससे अलग है। साइबर अपराध दुनिया भर में एक बड़ी चुनौती के रूप में आया है। इससे निपटने के उपाय अभी विकसित हो रहे हैं। मगर बैंक बना कर या पोंजी स्कीम चला कर लूटने की घटनाएं र होती हैं, तो इसे विनियामक और प्रशासनिक एजेंसियों की विफलता ही कहा जाएगा।
इससे भी बदतर स्थिति वह होती है, जब ऐसी एजेंसियों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत का शक होता है। क्या इससे कभी देशवासियों को निज़ात मिल पाएगी? (rbi policy)