Saturday

01-03-2025 Vol 19

चुनावी मकसद से चर्चा?

बहुआयामी गरीबी सूचकांक को एक पूरक पैमाना ही माना गया है। जबकि कैलोरी उपभोग की क्षमता एवं प्रति दिन खर्च क्षमता दुनिया में व्यापक रूप से मान्य कसौटियां हैं, जिन्हें अब भारत में सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया है।

नीति आयोग ने कई महीने जारी अपनी रिपोर्ट को संभवतः फिर से चर्चा में लाने के लिए ताजा एक डिस्कसन पेपर तैयार किया है। इसे- मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इन इंडिया सिंस 2005-06 (भारत में 2005-06 के बाद से बहुआयामी गरीबी) नाम से जारी किया गया है। इसमें पहले वाली रिपोर्ट के इस निष्कर्ष को दोहराया गया है कि 2013-14 से 2022-23 (यानी मोदी सरकार के कार्यकाल में) तक 24 करोड़ 82 लाख लोगों को बहुआयामी गरीबी के पैमाने पर गरीबी से बाहर लाया गया। डिस्कसन पेपर में नई बात सिर्फ यह दावा है कि जिस एल्कायर एंड फॉस्टर (एएफ) विधि से यह रिपोर्ट तैयार की गई, वह वैश्विक रूप से गरीबी मापने का स्वीकृत फॉर्मूला है। जबकि कुछ अर्थशास्त्री इस विधि में मौजूद खामियों के बारे में हो चुके शोध निष्कर्षों का उल्लेख करते हुए उसके सटीक होने पर सवाल उठा चुके हैं। बहरहाल, डिस्कसन पेपर जारी होते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्विट किया। उसमें उन्होंने कहा कि यह निष्कर्ष बहुत उत्साहवर्धक है, जो समावेशी विकास के प्रति उनकी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।

इस तरह जब देश लोकसभा चुनाव के मोड में प्रवेश कर चुका है, एक पुरानी रिपोर्ट के जरिए सरकार की अच्छी छवि पेश करने वाली सुर्खियां पेश करने अवसर एक बार फिर मेनस्ट्रीम मीडिया को मिला है। इससे सरकार समर्थकों को कुछ टॉकिंग प्वाइंट्स मिलेंगे। उनके शोरगुल के बीच इस मुद्दे की बारीकी में जाने की कोशिशें ना के बराबर होंगी, क्योंकि गरीबी के विमर्श को सायास ढंग से आम चर्चा से बाहर कर दिया गया है। नतीजतन, जिससे विपक्ष भी कोई सार्थक बहस खड़ी करने में अक्षम दिखता है। वरना, विशेषज्ञ यह बात पहले ही चर्चा में ला चुके हैं कि बहुआयामी पैमाना इनपुट आधारित विधि है, जिसमें जो सेवाएं किसी स्थान पर उपलब्ध हैं (भले संबंधित व्यक्ति उसका उपभोग करने में अक्षम हो), उन्हें उसकी गरीबी मापने की कसौटी मान लिया जाता है। इसीलिए इसे एक पूरक पैमाना ही माना गया है। जबकि कैलोरी उपभोग की क्षमता एवं प्रति दिन खर्च क्षमता व्यापक रूप से मान्य कसौटियां हैं, जिन्हें अब भारत में सिरे से नजरअंदाज कर दिया गया है।

NI Desk

Under the visionary leadership of Harishankar Vyas, Shruti Vyas, and Ajit Dwivedi, the Nayaindia desk brings together a dynamic team dedicated to reporting on social and political issues worldwide.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *