Wednesday

02-04-2025 Vol 19

कमी और कमजोरी कहां?

यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि ना तो नोटबंदी से आतंकवादियों की कमर टूटी और ना ही धारा 370 की समाप्ति से जम्मू-कश्मीर शांत प्रदेश बना। यह सच मान लिया जाए, तो फिर ये सोचने की राह निकल सकती है कि आगे क्या किया जाना चाहिए?

 पुंछ में आतंकवादी हमले में सेना के चार जवानों के मारे जाने के बाद अब बारामूला में जम्मू-कश्मीर एक रिटायर्ड पुलिस अधीक्षक की हत्या की खबर आई है। इस बीच पुंछ की घटना के बाद गिरफ्तार तीन नौजवानों की सेना के हिरासत में मौत ने पूरे जम्मू-कश्मीर में नए सिरे से आक्रोश पैदा कर दिया है। इस बारे में एक वीडियो के वायरल होने के बाद सेना ने आंतरिक जांच की घोषणा की है। खबर है कि संबंधित इलाके से एक बड़े अधिकारी को हटा भी दिया गया है। उधर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है। सेना और पुलिस की ये शुरुआती एवं फौरी कार्रवाइयां स्वागतयोग्य हैं। बेहतर होगा कि इस मामले की जांच को यथाशीघ्र निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए। साथ ही जो लोग दोषी पाए जाते हैं, उन पर होने वाली कार्रवाई का सार्वजनिक एलान किया जाए। चूंकि जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) कानून लागू है, इसलिए हिरासती मौतों के बारे में सामान्य न्यायिक कार्रवाई की गुंजाइश नहीं है।

इसलिए यह दिखाना सुरक्षा से संबंधित प्रशासन का दायित्व है कि वह मानव अधिकारों के किसी हनन को बर्दाश्त नहीं करता। यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि वैसी कार्रवाइयों से मकसद हासिल नहीं होता, जिन्हें आम धारणा में ज्यादती समझा जाए। इसके अलावा यह भी गंभीर आकलन का विषय है कि आखिर कश्मीर में आतंकवादी हमले क्यों नहीं रुक रहे हैं? बेहतर होगा कि इस बारे में सरकार अयथार्थ दावे करने के बजाय असल हालत को स्वीकार करे और हालात पर काबू पाने के प्रभावी उपाय ढूंढने के लिए व्यापक विचार-विमर्श का सहारा ले। अब यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि ना तो नोटबंदी से आतंकवादियों की कमर टूटी और ना ही धारा 370 की समाप्ति ने जम्मू-कश्मीर को एक शांत प्रदेश बना दिया। अगर यह सच मान लिया जाए, तो फिर इस दिशा में सोचने की राह निकल सकती है कि आखिर कमी और कमजोरी कहां रह गई है और आगे क्या किया जा सकता है?

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *