Wednesday

23-04-2025 Vol 19

फ्री हैंड पर लगाम?

खबरों के मुताबिक मोदी के एलान के बाद टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू से मुस्लिम नेताओं का एक दल मिला। नायडू ने उन्हें आश्वासन दिया कि जब तक वे केंद्रीय सत्ता में भागीदार हैं, ‘सेकुलर’ कोड जैसी कोई पहल नहीं होगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉमन सिविल कोड को नया नाम दिया। उसे सेकुलर कोड कहा। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से उन्होंने पर्सनल लॉ (जिसे उन्होंने कम्यूनल कोड कहा) कि जगह सेकुलर कोड लागू करने का इरादा जताया। यह बात उन्होंने लोकसभा चुनाव के पहले भी कही थी। तब लेकिन तब बात अलग थी। तब लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी का अपना बहुमत था और अभी भाजपा  का “चार सौ पार” का उत्साह आसमान में था। आम चुनाव में भाजपा के पर कुतर गए।

लेकिन उससे मोदी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पिछले ढाई महीने से उनका सारा प्रयास यही संदेश देने का है कि कुछ भी नहीं बदला है। संभवतः इसीलिए लाल किले से उन्होंने इस विभाजक मुद्दे को अपने भाषण का थीम बनाया। परंतु अब उनके सामने बदली हुई हकीकत है। मोदी के एलान के बाद सत्ताधारी एनडीए के घटक दल तेलुगू देशम पार्टी के नेता एन चंद्रबाबू नायडू से मुस्लिम नेताओं का एक दल मिला। नायडू ने उन्हें आश्वासन दिया कि जब तक वे केंद्रीय सत्ता में भागीदार हैं, ‘सेकुलर’ कोड जैसी कोई पहल नहीं होगी। जनता दल (यू) में भी अशांति दिखी।

नतीजतन, 16 अगस्त को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर एनडीए की बैठक बुलानी पड़ी। इसमें यह फैसला भी हुआ कि हर महीने एनडीए की समन्वय समिति की बैठक होगी और नीतिगत फैसले उसमें ही लिए जाएंगे। फिलहाल, इसका अर्थ यह है कि मोदी ने जो एलान किया, उसके प्रचार से भाजपा को जो सियासी फायदा मिलना हो मिले, लेकिन उससे संबंधित विधेयक को पारित कराना आसान नहीं होगा। इससे यह संकेत ग्रहण किया जा सकता है कि भाजपा की अब वह हैसियत नहीं है कि पिछली लोकसभा की तरह बिना अन्य किसी मत का ख्याल किए विवादास्पद विधेयकों को आगे बढ़ा दे। इसके लिए उसे- कम से कम अपने गठबंधन के भीतर न्यूनतम सहमति बनानी होगी। टीडीपी और जेडी-यू वक्फ़ बोर्ड विधेयक तक चुप रहे, लेकिन अब उन्हें अपनी सियासत के लिए जोखिम पैदा होता दिखने लगा है। अब देखना होगा कि मोदी-शाह का नेतृत्व इस स्थिति को भी मैनेज कर लेने में कामयाब होता है?

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *