Thursday

24-04-2025 Vol 19

चेतावनी पर ध्यान दीजिए

हिमालय पर इस बार सामान्य से बहुत कम बर्फ गिरी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके गंभीर परिणाम होंगे। हिमालय पर पिघलने वाली बर्फ इस क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी प्रणालियों में करीब एक चौथाई पानी का स्रोत है।

हिमालय पर इस बार सामान्य से बहुत कम बर्फ गिरी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके गंभीर परिणाम होंगे। हिमालय पर पिघलने वाली बर्फ इस क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी प्रणालियों में करीब एक चौथाई पानी का स्रोत है।

भारत का बहुत बड़ा हिस्सा जिस समय असाधारण गर्मी और पानी के अभाव का शिकार है, वैज्ञानिकों के एक दल ने जल संकट के गहराते आसन्न संकट के बारे में पूरे दक्षिण एशिया को आगाह किया है। कहा जा सकता है कि इस चेतावनी को सिर्फ अपनी मुसीबत की कीमत पर ही नजरअंदाज किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम का पैटर्न बदल चुका है। इसका प्रभाव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर दिख रहा है। इसी क्रम में जल संकट भीषण रूप ले रहा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालय पर इस साल ऐतिहासिक रूप से कम बर्फ गिरी।

इसी हफ्ते जारी अपनी रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने इसके संभावित परिणामों की विस्तार से चर्चा की है। तेजी से पिघलती हुई बर्फ इस क्षेत्र की 12 प्रमुख नदी प्रणालियों में करीब एक चौथाई पानी का स्रोत है। नेपाल स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (आईसीआईएमओडी) के वैज्ञानिकों के मुताबिक हिमालय की बर्फ इस इलाके में करीब 24 करोड़ लोगों के लिए पानी का अपरिहार्य स्रोत है। उनके अलावा नीचे की घाटियों में रहने वाले अतिरिक्त 1 अरब 65 करोड़ लोगों के लिए भी यह एक आवश्यक जल स्रोत है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक वैसे तो बर्फ का स्तर हर साल कम- ज्यादा होता रहता है, लेकिन अब जलवायु परिवर्तन की वजह से बारिश अनियमित हो गई है और मौसम का स्वरूप बदल रहा है। रिपोर्ट में “स्नो पर्सिस्टेंस”- यानी बर्फ के जमीन पर रहने के समय को भी मापा गया। पाया गया कि इस साल हिंदु कुश और हिमालय में इसका स्तर सामान्य से लगभग पांचवें हिस्से तक गिर गया। भारत की नदी प्रणालियों में सबसे कम स्नो पर्सिस्टें” मिला, जो औसत से 17 प्रतिशत नीचे था। यानी स्थिति विकट हो रही है। गौरतलब है कि आईसीआईएमओडी में नेपाल के अलावा भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, म्यांमार और पाकिस्तान के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। इसलिए इस रिपोर्ट को अत्यंत गंभीरता से लेने की जरूरत है। चुनौती यह है कि आसन्न संकट को ध्यान में रखते हुए समस्या से निपटने और लोगों की न्यूनतम जल आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रभावी योजना बनाने की है।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *