Sunday

06-04-2025 Vol 19

ये खेल हानिकारक है

चुनावी होड़ के बीच विदेश संबंध से जुड़े मुद्दों को हवा देना उचित नहीं है। इस सिलसिले में जो कहा जाता है, उसका संदेश विदेश तक जाता है। इससे देश की नीति को लेकर अनिश्चय एवं संदेह पैदा होता है।

चुनावी होड़ के बीच विदेश संबंध से जुड़े मुद्दों को हवा देना उचित नहीं है। इस सिलसिले में जो कहा जाता है, उसका संदेश विदेश तक जाता है। इससे देश की नीति को लेकर अनिश्चय एवं संदेह पैदा होता है।

घरेलू राजनीति में फायदा उठाने के लिए विदेश संबंध से जुड़े मसले को मुद्दा बनाना राष्ट्र हित के लिहाज से हानिकारक है। खासकर इस क्रम में अगर गड़े मुर्दे उखाड़े जाएं, तो उससे बहुत खराब संदेश जाता है। विदेश और रक्षा नीतियों पर राष्ट्रीय आम सहमति अपेक्षित होती है। इस पर कोई मतभेद हो, तो भी उसे सत्ता पक्ष और विपक्ष आपसी संवाद के दौरान एक दूसरे के सामने रख सकते हैं। मगर आज के दौर में ऐसा संवाद ही टूट गया है।

इस बीच खुद प्रधानमंत्री ऐसी बातें कह डालते हैं, जिससे कई हलकों में खलबली मचती है। मिजोरम विधानसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने यह अप्रत्याशित बयान दे दिया कि इंदिरा गांधी की सरकार ने मिजोरम के आम नागरिकों पर हवाई बमबारी की थी। यह कहते समय संभवतः उन्हें इसका ख्याल नहीं रहा कि आज उस भारतीय राज्य के सर्वोच्च प्रतिनिधि वे ही हैं, जिसकी तरफ से वो कथित कार्रवाई की गई थी। अब मोदी ने कच्चातिवू द्वीप का मसला उठा दिया है।

1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने श्रीलंका से हुए करार के तहत यह द्वीप उसे दिया था। अब चूंकि मोदी ने यह मसला उठाया, तो जवाबी हमले के तौर पर कांग्रेस ने बांग्लादेश के साथ बस्तियों की अदला-बदली का मुद्दा उठा दिया है। इस करार के तहत मोदी सरकार ने 111 बस्तियां बांग्लादेश को दी थीं, जबकि इसके बदले बांग्लादेश ने 55 बस्तियां भारत को दी थीं। साथ ही कांग्रेस ने पूर्वी लद्दाख में 2020 में हुए चीन के अतिक्रमण के लेकर भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

जहां तक इलाकों की अदला-बदली का सवाल है, तो यह कोई नई बात नहीं है। व्यापक राष्ट्र हित में कई बार सरकारें इस तरह के निर्णय लेती हैं। चुनावी होड़ के बीच ऐसे मुद्दों को हवा देना किसी लिहाज से उचित नहीं है। इस सिलसिले में जो कहा जाता है, उसका संदेश विदेश तक जाता है। इससे देश की नीति को लेकर अनिश्चय एवं संदेह पैदा होता है। जबकि प्रयास यह संदेश देने का होना चाहिए कि सरकारें भले आती-जाती रहें, मगर देश की नीतिगत स्थिरता कायम रहती है।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *