Wednesday

23-04-2025 Vol 19

आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक

जो रिपोर्ट पेश की गई है, उस पर गौर करते हुए हर बिंदु पर अहसास होता है कि यह आर्थिक से ज्यादा एक राजनीतिक दस्तावेज है, जिसे चुनावी मकसद से मीडिया में बड़ी सुर्खियां बनाने के लिए लिहाज से तैयार किया गया है।

परंपरा यह है कि बजट पेश होने से पहले भारत सरकार संसद में गुजर रहे वर्ष का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करती है। आम समझ है कि बजट ऐसा आर्थिक दस्तावेज होता है, जिसे सरकार की राजनीतिक प्राथमिकताओं के मुताबिक तैयार किया जाता है। जबकि आर्थिक सर्वेक्षण ठोस आंकड़ों पर आधारित दस्तावेज है, जिससे देश की असल आर्थिक सूरत की जानकारी मिलती है। आर्थिक सर्वेक्षण को सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार तैयार करते हैं। इस बार भी उन्होंने ऐसा किया है, लेकिन परंपरा से अलग हटते हुए उसे प्रेस कांफ्रेंस के जरिए अंतरिम बजट पेश होने तीन दिन पहले जारी कर दिया गया। बाद में सफाई दी गई कि चूंकि इस बार पूर्ण बजट पेश नहीं हो रहा है, इसलिए ये दस्तावेज संसद से बाहर जारी किया गया है- लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण बजट पेश होगा, तब आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा। बहरहाल, जो रिपोर्ट पेश की गई है, उस पर गौर करते हुए हर बिंदु पर अहसास होता है कि यह आर्थिक से ज्यादा एक राजनीतिक दस्तावेज है, जिसे चुनावी मकसद से मीडिया में बड़ी सुर्खियां बनाने के लिए लिहाज से तैयार किया गया है। मसलन, अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि भारतीय रिजर्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, और विश्व बैंक के अनुमान 6.3-6.4 प्रतिशत के दायरे में हैं। फिर 2030 तक सात ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना इसमें दिखाया गया है। इन संदर्भों में सरकार की जो आलोचनाएं रही हैं, उनका जवाब भी इसमें देने की कोशिश की गई है। जैसेकि मुख्य आर्थिक सलाहकार वी नागेश्वरन ने कहा कि मोदी काल की औसतन सात प्रतिशत की वृद्धि दर यूपीए काल के 8-9 प्रतिशत से बेहतर है, क्योंकि तब विश्व अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर आज से दो गुना ज्यादा थी। इसके अलावा रोजगार के उन आंकड़ों का सहारा लेकर आर्थिक वृद्धि को समावेशी बताने की कोशिश भी की गई है, जिन पर विशेषज्ञ हलकों से वाजिब सवाल उठाए गए हैँ। तो सार यह है कि आर्थिक सलाहकार ने सत्ताधारी पार्टी को खुशहाली की कहानी दी हैं, जिनसे वह चुनावी हेडलाइन्स बना सके।

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *