Wednesday

23-04-2025 Vol 19

देश छोड़ने की होड़

अति धनी और साधन विहीन दोनों तरह के लोगों का भारत से भरोसा क्यों टूट रहा है? उन्हें अपने लिए यहां बेहतर अवसर क्यों नजर नहीं आते? विडंबना ही है कि ऐसा “अमृत काल” में हो रहा है!

इस खबर पर शर्म का अहसास होना लाजिमी है कि अमेरिका में अवैध रूप से घुसने के दौरान पकड़े जाने वाले भारतीयों की संख्या में पांच गुना तक उछाल आया है। जाहिर है, अनेक ऐसे लोग अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश कर जाते होंगे। यानी भारत से इस रूप में अमेरिका जाकर बसने की कोशिश करने वाले लोगों की संख्या असल में उससे कहीं ज्यादा है, जितनी अभी आधिकारिक तौर पर बताई गई है। अमेरिका के कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक साल में 96,917 भारतीय नागरिकों को अमेरिका में अवैध रूप से घुसने की कोशिश करते पकड़ा गया।  यह आंकड़ा अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच की अवधि का है। आंकड़ों के मुताबिक यह एक नया रिकॉर्ड है और तीन साल पहले के आंकड़ों में पांच गुना उछाल है। 2019-20 में ऐसे लोगों की संख्या सिर्फ 19,883 थी। ताजा मामलों में 41,770 भारतीय मेक्सिको की सीमा से पकड़े गए और 30,010 कनाडा की सीमा से। बाकी लोगों को अमेरिका में घुसने के बाद पकड़ा गया। अनुमान लगाया जा सकता है कि इस रूप में जिन लोगों ने अमेरिका जाने की कोशिश की, वे साधन संपन्न नहीं होंगे। वरना, वे वीजा लेकर वहां जाते।

अमेरिका की एक योजना के मुताबिक ढाई लाख डॉलर का निवेश की योजना रखने वाले लोगों को वहां स्थायी निवास का वीजा तुरंत मिल रहा है। हाल में आई खबरों के मुताबिक भारत के उच्च आय वर्ग के लोगों (सालाना आमदनी दस लाख डॉलर) के भी भारत की नागरिकता छोड़ने की संख्या में लगातार इजाफा हुआ है। ऐसे अधिकांश लोग विकसित देशों में जाकर बसते हैं, हालांकि उनमें से कुछ लोग उन देशों की नागरिकता भी लेते हैं, जिन्हें टैक्स हैवन (कर चोरी के अड्डे) कहा जाता है। तो प्रश्न है कि अति धनी और साधन विहीन दोनों तरह के लोगों का भारत से भरोसा क्यों टूट रहा है? उन्हें अपने लिए यहां बेहतर अवसर क्यों नजर नहीं आते? विडंबना ही है कि ऐसा “अमृत काल” में हो रहा है, जब 25 साल के अंदर  विकसित देश बनने की यात्रा शुरू हो चुकी है!

NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *