rera disappointing : सुप्रीम कोर्ट ने स्वागतयोग्य हस्तक्षेप किया है। न्यायमूर्तियों ने जो टिप्पणियां कीं, वे सबूत हैं कि रेरा मकान खरीदारों को तनिक भी राहत नहीं दिला पाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ‘फिरौती वसूली’ जा रही है।
पूर्व यूपीए सरकार के समय जब रियल एस्टेट विनियमन प्राधिकरण (रेरा) कानून पारित हुआ, तो उससे मकान खरीदारों में ऊंची उम्मीदें जगी थीं। कहा गया था कि अब आखिरकार ज्यादातर मध्य वर्ग के खरीदारों को बिल्डरों की तिकड़मों से मुक्ति मिलेगी।
मगर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जो जाहिर हुआ और उस पर न्यायमूर्तियों ने जो टिप्पणियां कीं, वे सबूत हैं कि रेरा मकान खरीदारों को तनिक भी राहत नहीं दिला पाया है। (rera disappointing)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के ‘लाचार मकान खरीदारों’ से फिरौती वसूली जा रही है। कोर्ट ने जो सवाल पूछे हैं, उनमें एक यह भी है कि खरीदारों को रेरा से क्या राहत मिली है?
हालांकि कोर्ट में सुनवाई एनसीआर से जुड़े मामलों की हो रही थी, लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो हाल यहां है, बाकी जगहों के खरीदारों की स्थिति उससे बेहतर नहीं होगी। (rera disappointing)
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बिल्डर-बैंक गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त (rera disappointing)
इसलिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का संदर्भ बड़ा है। कोर्ट ने सीबीआई से कहा है कि वह बिल्डर- बैंक मिलीभगत की पूरी जांच करे। जजों ने इसके लिए विशेष जांच दल बनाने का आदेश दिया।
अदालत ने कहा कि बिल्डरों और खरीदारों को कर्ज देने वाले बैंकों ने मिल कर खरीदारों के लिए मुश्किलें खड़ी की हैं। इनकी वजह से आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने में देर हुई है।
कोर्ट ने खास चिंता उन मामलों पर जताई, जिनमें रियल एस्टेट कंपनियों ने दिवालिया प्रक्रिया शुरू कर दी है। (rera disappointing)
मामला हजारों मकान खरीदारों की याचिका से कोर्ट के सामने आया है। इसमें ध्यान दिलाया गया है कि बैंक ऋण की रकम का भुगतान सीधे बिल्डरों को करते हैं।
तब बताया जाता है कि फ्लैट सौंपे जाने तक ईएमआई बिल्डर चुकाएंगे। मगर बिल्डर ईएमआई पर डिफॉल्ट करने लगते हैं और तब त्रिपक्षीय करार के मुताबिक बैंक खरीदारों से ईएमआई वसूलने लगते हैं। (rera disappointing)
खरीदारों की पीड़ा पर दो जजों की बेंच ने गहरी नाराजगी जताई। कहा कि वे इस घपले की सीबीआई जांच का आदेश देंगे। यह स्वागतयोग्य हस्तक्षेप है। मगर इस मामले ने भारत में विनियमन और अनुचित व्यापार व्यवहार की निगरानी की हकीकत को बेनकाब कर दिया है।