Wednesday

23-04-2025 Vol 19

यूपी में ‘एनकाउंटर राज’

Encounter Raj in UP: यूपी में एनकाउंटर कोई नई घटना नहीं है। पहले भी कुछ मौकों पर विपक्ष ने मुठभेड़ों पर सवाल उठाए हैं। यहां तक कि न्यायपालिका ने आलोचनात्मक टिप्पणियां की हैं। लेकिन आम तजुर्बा है कि यूपी सरकार पर कोई असर नहीं होता।

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उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर राज 

उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर (जिनके बारे में आरोप है कि उनमें ज्यादातर फर्जी होते हैं) और बुल्डोजर राज इतना आम फहम हो गया है कि उनसे कानून के राज के ध्वस्त होने को लेकर आशंकाएं गहराती चली गई हैं। देखा गया है कि मोटे तौर पर ऐसी कार्रवाइयों के निशाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग होते हैं। चूंकि उनसे सहानुभूति जताना आज राजनीतिक रूप से घाटे का सौदा माना जाता है, इसलिए उनसे जुड़ी घटनाओं पर सियासी दायरे में कोई बड़ा शोरगुल नहीं होता। इसको लेकर सवाल तभी उठते हैं, जब इनका निशाना राजनीतिक रूप से किसी रसूखदार समुदाय का व्यक्ति बने।

ऐसे ही सवाल अभी उत्तर प्रदेश में गर्म हैं। राज्य के सुल्तानपुर जिले में 28 अगस्त को एक गहने की दुकान में डकैती हुई, जिसमें करीब दो करोड़ रुपये के कीमती सामान लूट लिए गए। पुलिस ने धर-पकड़ शुरू की।छह दिन बाद एक ‘मुठभेड़’ में तीन लोगों को घायल कर गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन यानी चार सितंबर को एक व्यक्ति ने अदालत में समर्पण कर दिया।

एनकाउंटर को लेकर सियासी घमासान

छह सितंबर को यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स ने मंगेश यादव नाम के एक अभियुक्त को मुठभेड़ में मार गिराया। मंगेश के परिजनों का आरोप है कि दो दिन पहले उसे एसटीएफ वाले पूछताछ के लिए घर से उठा ले गए थे और फिर मुठभेड़ में उसके मारे जाने की खबर आई। परिजनों का आरोप है कि यह एनकाउंटर नहीं बल्कि हत्या है। उसके बाद से राज्य में एनकाउंटर को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है।

पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भी इस मामले में राज्य की योगी सरकार पर निशाना साधा है। लेकिन यूपी में एनकाउंटर कोई नई घटना नहीं है। पहले भी कुछ मौकों पर विपक्ष ने मुठभेड़ों पर सवाल उठाए हैं। यहां तक कि न्यायपालिका ने आलोचनात्मक टिप्पणियां की हैं। लेकिन आम तजुर्बा है कि यूपी सरकार पर कोई असर नहीं होता। उलटे सरकार एनकाउंटर करने वालों को पुरस्कार देती रही है। आरोप है कि यूपी सरकार ने एनकाउंटर को राजकीय नीति बना रखा है और वह बेहिचक इसको आगे बढ़ा रही है।

NI Editorial

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