ट्रंप ने अमेरिकी कूटनीति में आर्थिक एवं सैनिक ताकत को केंद्रीय महत्त्व दे दिया है। यूरोप की उनकी निगाह में उतनी ही अहमियत है, जितनी उसकी ताकत है। लाजिमी है, यूक्रेन के पक्ष में यूरोपीय प्रस्ताव पर वे उतना ही ध्यान देंगे।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की को अमेरिका ने दुत्कार दिया, तो प्रतिक्रिया में यूरोप ने उन्हें अधिक जोश से गले लगाया। पहल ब्रिटिश प्रधानमंत्री कियर स्टार्मर ने की। उन्होंने लंदन में जेलेन्स्की के लिए लाल कालीन बिछाई और जल्दबाजी में अन्य यूरोपीय देशों के नेताओं का सम्मेलन बुला लिया। इसमें कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो भी आए। सम्मेलन में यूक्रेन को अधिक सैनिक मदद देने और रूस पर अधिक प्रतिबंध लगाने का फैसला हुआ। यह भी कहा गया कि कोई शांति समझौता हो जाता है, तो उसके बाद यूक्रेन को अधिक हथियार दिए जाएंगे। कहा गया कि संप्रभुता की रक्षा मतलब है कि युद्ध में रूस के हाथों यूक्रेन ने जो जमीन गंवाई है, उसे वापस दिलाने का मुद्दा अवश्य ही रूस के साथ किसी बातचीत में शामिल किया जाए।
अब यूरोपीय देश अपना यह प्रस्ताव अमेरिका के सामने रखेंगे, ताकि रूस के साथ वह जो शांति वार्ता करे, उनमें इन बातों पर ध्यान दिया जाए। यहां यह याद करना उपयोगी होगा कि पिछले हफ्ते स्टार्मर वॉशिंगटन गए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ बातचीत के बाद दोनों की साझा प्रेस में स्टार्मर ने कहा कि ब्रिटेन का हाथ यूक्रेन की पीठ पर है, तो ट्रंप ने व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ उनसे पूछा कि क्या ब्रिटेन अकेले रूस को हरा देगा। इस पर स्टार्मर लड़खड़ाए और मुस्करा कर रह गए। लेकिन इस प्रकरण ने ब्रिटेन की अमेरिका पर निर्भरता को दुनिया के सामने जाहिर कर दिया। यह बात कमोबेश पूरे यूरोप पर लागू होती है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद मास्टर प्लान के तहत आधुनिक यूरोप का ढांचा अमेरिका ने तैयार किया था। तब से यूरोप की सुरक्षा अमेरिका के मोहताज रही है। ऐसे में यूक्रेन को सुरक्षा देने का इरादा जताना यूरोप की सदिच्छा जताने के अलावा और क्या हो सकता है? ट्रंप ने अमेरिकी कूटनीति में आर्थिक एवं सैनिक ताकत बढ़ाने और जताने को केंद्रीय महत्त्व दे दिया है। ऐसे में यूरोप की उनकी निगाह में उतनी ही अहमियत है, जितनी उसकी ताकत है। लाजिमी है, यूक्रेन के पक्ष में यूरोपीय प्रस्ताव पर वे उसी अनुपात में ध्यान देंगे।