इस रुझान में निकट भविष्य में कोई राहत नहीं मिलने वाली है। इस बार की महंगाई सिर्फ दुनिया में युद्ध के गहराते माहौल की वजह से नहीं है। बल्कि इसका एक बड़ा पहलू अमेरिकी मुद्रा डॉलर की स्थिरता को लेकर निवेशकों के मन में बढ़ रही आशंकाएं हैं।
दुनिया भर में सोना और चांदी के भाव तेजी से चढ़े हैं। विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंक सोने की थोक भाव में खरीदारी कर रहे हैं। उधर रूस ने चांदी को उस सूची में शामिल कर दिया है, जिन्हें वह अपने राजकीय कोष में रखता है। हालांकि चांदी के भाव पहले भी चढ़ रहे थे, लेकिन रूस के इस ताजा कदम ने चांदी को भी असामान्य रूप से महंगा बना दिया है। विडंबना ही है कि इस वैश्विक रूझान से भारत में त्योहारों का सीज़न प्रभावित हो रहा है। इस सीज़न में लोग कीमती धातुओं की खूब खरीदारी करते हैं। लेकिन इस बार सोने- चांदी का खुदरा बाजार मंदा है।
वजह यह कि ये धातु आम मध्य वर्ग की पहुंच से बाहर हो गए हैँ। 24 कैरेट सोने का भाव तो प्रति दस ग्राम 80 हजार रुपये के करीब पहुंच गया है। चांदी तकरीबन 85 हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई है। गौरतलब है कि इस वर्ष बजट में सरकार ने सोने पर आयात शुल्क घटा दिया था। तब सोना लगभग पांच हजार रु. प्रति दस ग्राम सस्ता हो गया था। पर आज दाम रिकॉर्ड स्तर पर है। ध्यान देने की बात है कि इस रुझान में निकट भविष्य में कोई राहत नहीं मिलने वाली है। इस बार की महंगाई सिर्फ दुनिया में युद्ध के गहराते माहौल की वजह से नहीं है। बल्कि इसका एक बड़ा पहलू अमेरिकी मुद्रा डॉलर की स्थिरता को लेकर निवेशकों के मन में बढ़ रही आशंकाएं हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद से डॉलर निवेशकों की टॉप प्राथमिकता रहा है। पहले जब उसके भाव को लेकर अस्थिरता के अंदेशे क्षणिक होते थे। लेकिन अब अमेरिका की वित्तीय स्थितियों और डॉलर का विकल्प ढूंढने की ब्रिक्स जैसे मंचों की कोशिश ने इसे अपेक्षाकृत दीर्घकालिक बना दिया है। नतीजतन, सिर्फ सेंट्रल बैंक ही नहीं, बल्कि आम बड़े निवेशक भी सोने में पैसा लगाना अधिक सुरक्षित मान रहे हैं। नतीजा यह है कि सोना आम भारतीय मध्य वर्ग की पहुंच से दूर हो गया है, जिसके मनोविज्ञान में सोना सुरक्षा देने वाली धातु के रूप गहरे पैठा रहा है।