Thursday

13-03-2025 Vol 19

बदलती हवा के साथ

अभी जबकि सैटेलाइट इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए स्पेसएक्स को भारत में लाइसेंस हासिल नहीं हुआ है, एयरटेल भारती ने उसके साथ करार कर लिया है। नतीजतन स्पेसएक्स के खिलाफ मोर्चे में रियालंस जियो अकेली पड़ गई है।

अभी पांच महीने नहीं हुए हैं, जब भारती एयरटेल कंपनी ने रिलायंस जियो के साथ साझा रुख लेते हुए भारत सरकार से कहा था कि सैटेलाइट इंटरनेट सेवा के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन नीलामी के जरिए हो। यह मांग इलॉन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के विपरीत थी, जो यह सरकारी फैसले से आवंटन चाहती है। इस बीच अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने और उसमें मस्क को प्रमुख भूमिका मिलने से हवा का रुख बदल गया है। तो एयरटेल भारती को संभवतः महसूस हुआ कि स्पेसएक्स के भारत में प्रवेश को रोकना अब मुमकिन नहीं रहा। ऐसे में रुख बदल लेना उसने फायदेमंद समझा।

और अब वह खुद भारत में स्पेसएक्स की स्टारलिंक सेवा प्रदान करेगी। अभी जबकि स्पेसएक्स को भारत में लाइसेंस हासिल नहीं हुआ है, एयरटेल भारती ने उसके साथ करार कर लिया है। नतीजतन स्पेसएक्स के खिलाफ मोर्चे में रियालंस जियो अकेली पड़ गई है। वैसे संभव है कि भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने का लाइसेंस एक से ज्यादा कंपनियों को मिले। फिर भी 60 से ज्यादा देशों में यह सेवा दे रही स्पेसएक्स के साथ बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का माहौल बनेगा। इस रूप में रिलायंस ग्रुप के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। वैसे ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताओं पर ध्यान दें, रिलायंस के लिए चुनौती सिर्फ यही नहीं है।

ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका से पेट्रोलियम की अधिक खरीदारी और अमेरिकी कंपनियों को भारत में ‘समान धरातल’ दिलवाने के लिए भी भारत पर दबाव बना रखा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के विभिन्न कारोबार में अमेजन एवं वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों से सीधी होड़ है। अब तक सरकारी नीतियों का संरक्षण उसे मिला हुआ है। लेकिन सूरत बदली, तो उससे भी उसके सामने नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। भारती एयरटेल के रुख से साफ है कि भारत के बहुत-से कारोबारी ‘मुकाबला नहीं कर सकते, तो पीछे लग चलो’ की नीति पर चल रहे हैं। मगर उन कंपनियों के लिए ऐसा करना कठिन है, जिनकी भारतीय अर्थ-जगत के विभिन्न क्षेत्रों पर एकाधिकार जैसी हैसियत है और अब उन्हीं क्षेत्रों में अमेरिकी कंपनी भी प्रवेश करना चाहती है।

NI Editorial

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